फूलबाग चौपाटी के पास बन रहा रिमोट से चलने वाला संभाग का पहला बिजली सब स्टेशन


ग्वालियर| मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी द्वारा ग्वालियर संभाग का पहला रिमोट से संचालित होने वाला बिजली सब स्टेशन फूलबाग चौपाटी के पास तैयार किया जा रहा है। 132/33 केवी क्षमता का सब स्टेशन पूरी तरह आटोमेटिक जीआइएस तकनीक से युक्त है। लाक एंड की तकनीकी आधार पर फीडर बंद से चालू करने तक का काम जबलपुर, भोपाल और महलगांव स्थित मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी के 220 केवी क्षमता के सब स्टेशन से ही हो जाएगा। मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि दो से तीन माह में ये तैयार हो जाएगा। ये रिमोट तकनीक आधारित प्रदेश का तीसरा सब स्टेशन होगा। इस सब स्टेशन से फूलबाग जोन सहित अन्य क्षेत्रों को लाभ मिलेगा। इसके साथ ही लाइन लंबी होने से बिजली गुल और देरी से बिजली आपूर्ति की स्थिति का सामना उपभोक्ताओं को नहीं करना पड़ेगा। नए हाईटेक सब स्टेशन से उपभोक्ताओं की कई सारी दिक्कतें दूर हो जाएंगी।
132/33 केवी क्षमता के हाईटेक सब स्टेशन के संचालन को लेकर किसी भी तरह के मानवीय हस्तक्षेप की जरूरत नहीं होगी। कोई फीडर फाल्ट होता है, तो तुरंत आनलाइन ही उसे रिमोट तकनीक से दुरुस्त कर चालू कर दिया जाएगा। कोई फीडर बंद करना या इसी तरह का काम करना आसान होगा। फीडर व लाइन रख-रखाव के लिए भी ये सुरक्षित रहेगा। ट्रांसमिशन नेटवर्क की संचालन दक्षता बढाने मप्र पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने 132/33 केवी क्षमता के कुछ सब स्टेशन का संचालन रिमोट कंट्रोल के माध्यम से करेगी। जबलपुर में बने केंद्रीय रिमोट कंट्रोल सेंटर के अलावा भोपाल से भी इसे नियंत्रित किया जा सकेगा। कंट्रोल सेंटर से ये सबस्टेशन फाइबर आप्टिक केबल नेटवर्क के माध्यम से जोड़ा जाएगा। यह कंट्रोल सेंटर 24 घंटे संचालित रहेगा। कंट्रोल सेंटर में संबंधित सब-स्टेशनों का रियल टाइम डाटा भी उपलब्ध हो सकेगा। ट्रांसमिशन कंपनी के सब स्टेशन में किसी वायरस या अनहोनी हुई तो कंपनी ने बैकअप का प्लान भी बनाया है। इसके तहत जबलपुर में किसी तरह की सर्वर में परेशानी होने पर इंदौर से बैकअप प्लान होगा। वहां से भी सब स्टेशन का नियंत्रण हो पाएगा।
यह होगा फायदा
इसके निर्माण से शहर की बिजली वितरण व्यवस्था में सुधार आएगा।
33 केवी के फीडर छोटे हो जाएंगे।
वाल्टेज व ट्रिपिंग की समस्या से निजात मिलेगी।
फाल्ट आने पर लोड डायवर्ट का भी विकल्प मिल सकेगा।
33 केवी फीडर की लंबाई अधिक है। यदि लाइनों में फाल्ट आ जाए तो उनकी पेट्रोलिंग में समय लगता है। इससे लाइनों की दूरी कम हो जाएगी।