
इस साल गेहूं की फसल अच्छी होने से रसोई में रोटी अच्छी फूलने वाली है। इसकी वजह गेहूं की अच्छी फसल होने के साथ-साथ दामों में कमी होना भी है। सरकार ने भी देश में गेहूं उत्पादन 115 मिलियन टन (एमटी) से अधिक होने का अनुमान लगाया है, वहीं फ्लोर मिल संचालकों को यह लगभग 110 एमटी तक होने की उम्मीद है। शरबती गेहूं का बाजार इस समय 5000-5500 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है, वहीं बीते साल शरबती गेहूं ने 6000 रुपए प्रति क्विंटल का आंकड़ा छू लिया था।
हालांकि गेहूं कारोबारियों का मानना है कि फिलहाल दामों में वृद्धि नहीं होगी, लेकिन दिवाली के आसपास इसमें तेजी दिख सकती है। ग्वालियर सहित प्रदेशभर में गंजबासौदा, सीहोर, अशोकनगर और आष्टा जैसी जगहों से गेहूं की आवक होती है। इन दिनों बाजार में 1544, हर्षिता और सुनहरा गेहूं (लोटा) के दाम 3400-3500 रुपए प्रति क्विंटल चल रहे हैं। ये गेहूं इतना चमकदार होता है कि हूबहू यह शरबती गेहूं जैसा लगता है। ऐसे में कई लोग इसे ही शरबती गेहूं बताकर बेच देते हैं। गेहूं के थोक कारोबारी ने बताया कि गंजबासौदा, सीहोर, आष्टा से आने वाला शरबती गेहूं अच्छा माना जाता है। अभी शरबती गेहूं के दाम 5000-5500 रुपए प्रति क्विंटल चल रहे हैं। उन्होंने बताया, भले ही इस बार गेहूं की फसल अच्छी रही हो और दाम कम चल रहे हों, लेकिन बड़ी कंपनियां इसे स्टॉक कर लेंगी। ऐसे में इस सीजन के बाद दिवाली तक गेहूं में तेजी देखने को मिल सकती है। गेहूं के थोक कारोबारी अजय गोयल के मुताबिक इन दिनों में गेहूं के दाम कम होने के साथ-साथ मांग भी निकली हुई है।
देश में इस बार रबी सीजन 2024-25 में गेहूं का बंपर उत्पादन होने का अनुमान जताया गया है। केंद्र सरकार के कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी सूची में गेहूं उत्पादन में पहले की तरह उत्तर प्रदेश 31.7% उत्पादन हिस्सेदारी में टॉप पर हैं। मध्यप्रदेश 21.3% के साथ दूसरे नंबर पर है। वहीं तीसरे नंबर पर पंजाब 14.7%, चौथे पर हरियाणा 10% और पांचवे पर राजस्थान 9.6% है। भले ही इस साल गेहूं की आवक भरपूर होने के साथ-साथ दाम भी कम चल रहे हों लेकिन ब्रांडेड कंपनियों के आटे के पैकेट के दाम कम नहीं हुए है। बाजार में बिकने वाले ब्रांडेड कंपनियों के आटे का पांच किलो का पैकेट 240 रुपए में बेचा जा रहा है। इधर किराना व्यवसायी संघ के अध्यक्ष दिलीप खंडेलवाल ने बताया कि आटे के पैकेट के दाम पूर्ववत ही चल रहे हैं।

