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ग्वालियर। मैनोपेरम इंजेक्शन घोटाला मामले में अभी जयारोग्य अस्पताल का पीछा पूरी तरह छूटा नहीं है कि एक ओर घोटाले की शिकायत पर लोकायुक्त ने डाॅ. अक्षय निगम के खिलाफ जांच तेज कर दी है। जिसमें लोकायुक्त ने अधिष्ठाता को 19 नवंबर को समक्ष में प्रतिवेदन हेतु पेश होने का कहा है।
जयारोग्य अस्पताल में कैंसर रोगियों के उपचार हेतु मशीन क्रय की गई थी। इस मशीन को लेकर लोकायुक्त में शिकायतकर्ता द्वारा वर्ष 2017 में शिकायत करते हुये खरीदी में पुरानी मशीन लेने और अधिक भुगतान की बात कहीं थी जिस पर लोकायुक्त द्वारा अधिष्ठाता से उनका प्रतिवेदन चाहा था, जो कि अधिष्ठाता द्वारा सीधे लोकायुक्त में दर्ज कराया गया था। अपने दिये प्रतिवेदन में अधिष्ठाता जीआरएमसी द्वारा अधिक भुगतान की बात स्वीकारी गई थी। जिसके बाद विभाग से लोकायुक्त ने उनका अभिमत भी चाहा। इस मामले में कई माह बीतने के बाद भी विभाग द्वारा अभिमत नहीं दिया गया है। जिस पर लोकायुक्त ने अप्रसन्नता जाहिर की थी।
इस मामले में मशीन के पुानी होने की जानकारी के लिए अब सक्षम अधिकारी की उपस्थिति में रजिस्टर्ड बायो मेडिकल इंजीनियर द्वारा इसकी जांच लोकायुक्त द्वारा कराई जायेगी। लोकायुक्त द्वारा इस मामले में जारी विज्ञप्ति, प्राप्त निविदा विज्ञप्तियां की जानकारी एवं क्रेता व विक्रेता पक्ष के बीच में हुये अनुबंध की जानकारी भी चाही है।
इस मामले में लोकायुक्त द्वारा अपने लिखे पत्र में विभाग एवं अधिष्ठाता को सचेत किया गया है कि अगर वह 19 नवंबर तक समक्ष प्रस्तुत होकर अपना अभिमत नहीं देते है तो लोकायुक्त अधिष्ठाता के खिलाफ पद के दुरूपयोग का मामला अलग से पंजीबद्ध करा देगा। अधिष्ठाता जीआरएमसी डाॅ. भरत जैन के अनुसार हमने अभिमत का प्रतिवेदन भेज दिया है। वहीं संबंधित दस्तावेज भी भेजे है। 19 नवंबर को मैं भी वहां उपस्थित होकर अपना प्रतिवेदन दूंगा।