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“माँ ने मुझे जनसेवा के लिए राष्ट्र को सौप दिया था” ये कहना है, केंद्रीय कृषि और ग्रमीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का। हालही में नो सितंबर को तोमर की माता जी श्रीमती शारदा देवी का निधन हुआ।
राजकरण में होने की वजह से राजनेताओं के आरोप-प्रत्यारोप की खबरे लाजमी है। लेकिन एक राष्ट्रीय स्तर के कद्दावर नेता को गढ़ने वाली धात्री की भूमिका को कैसे भुलाया जा सकता है। अपनी माँ को याद करते हुए केंद्रीय कृषि और ग्रमीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर बोले “मेरे पिता शासकीय सेवा में थे,जब मैंने राजनीति शुरू की तब जनसंघ था, इस दौर में शासकीय सेवक के पुत्र का सक्रिय राजनीति में प्रवेश वो भी विपक्ष की भूमिका कितना कठिन कार्य था। माता जी ने एक तरह से जन सेवा के लिए अपने पुत्र को राष्ट्र को ही सौप दिया था।”
श्रीमती शारदा देवी अपने इस फैसले से इतना गौरान्वित महसूस करती थी के मिलने वालों से अक्सर कहा करती थी ” मेरे बेटे ने कभी यैसा काम नही किया , जिससे मुझे शर्मिदगी महसूस हो”। शारदा देवी खुद राजनीतिक नहीं थी, लेकिन उनका सामाजिक सरोकार पर जोर रहा। वे चाहती थी कि उनका बेटा “मुन्ना” राजनीति के सामाजिक दायित्व पूरी निष्ठा और ईमानदारी से पूरा करे। मसलन 12 जून 2016 को तोमर का जन्मदिन था। घर पर सादगी से मनाया जा रहा था। लेकिन इस बीच ग्वालियर के मुरार क्षेत्र के जैन मंदिर के बगल में रह रहे यादव परिवार के आवास में भीषण आगजनी हो गई। मुन्ना भैया बीच मे ही तुरंत मौके पर पहुँचे और सुबह छह बजे घर लौटे। माँ को अपने बेटे की पहल पर तो नाज था,लेकिन इस बात की भी चिंता थी कि अपने जन्मदिन के दिन भीषण आगजनी स्थल पर पहुँचा बेटा मुन्ना घर क्यों नहीं लौटा।
माँ की प्रेरणा का ही परिणाम था कि इस दुख की घड़ी में भी तोमर अभी तीन दिन पूर्व श्योपुर, भिंड ,सबलगढ़ और चंबल में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर प्रभावितों से मिले संमस्याए सुनी और समाधान का भरोसा देकर ग्वालियर लौट आए। कारण माता के निधन के बाद उनके ग्वालियर आवास पर तमाम राजनीतिक दलों के कद्दावर नेताओ और आला नोकरशाहो का आना जाना चल रहा है। तोमर जब बाढ़ प्रभावित लोगों से मिलने गए, इस दौरान उनके जेष्ठ पुत्र देवेंद्र प्रताप सिंह पारिवारिक शोक की इस घड़ी में आगंतुकों का आभार प्रकट करते नजर आए।