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लोकसभा : मावलंकर से बिरला तक  

  भाजपा का मौजूदा नेतृत्व जनमानस को चौंकाने में सिद्ध हस्त हो चुका है।भाजपा ने सबसे पहले राष्ट्रपति पद पर रामनाथ गोविंद को लाकर चौंकाया था और अबकी बार लोकसभा अध्यक्ष पद पर राजस्थान  के ओम बिरला को अपना प्रत्याशी बनाकर देश को चौंकाया है ।लोकसभा अध्यक्ष का पद संसदीय लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण पद है और इस पद पर अब तक आये 16  नेताओं में से कुछ को ही शृद्धा के साथ याद किया जाता है ।नए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के लिए इसी शृद्धा को हासिल करना एक चुनौती है । ओम बिरला का संसदीय जीवन बहुत लंबा…

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भाजपा का मौजूदा नेतृत्व जनमानस को चौंकाने में सिद्ध हस्त हो चुका है।भाजपा ने सबसे पहले राष्ट्रपति पद पर रामनाथ गोविंद को लाकर चौंकाया था और अबकी बार लोकसभा अध्यक्ष पद पर राजस्थान  के ओम बिरला को अपना प्रत्याशी बनाकर देश को चौंकाया है ।लोकसभा अध्यक्ष का पद संसदीय लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण पद है और इस पद पर अब तक आये 16  नेताओं में से कुछ को ही शृद्धा के साथ याद किया जाता है ।नए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के लिए इसी शृद्धा को हासिल करना एक चुनौती है ।
ओम बिरला का संसदीय जीवन बहुत लंबा नहीं है,वे 2003  में पहली बार राजस्थान विधान सभा के लिए चुने गए थे और चीन बार विधायक रहे ।
लोकसभा का पहला चुनाव भी उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2014  में ही जीता था।वे दूसरी बार लोकसभा पहुंचे हैं ,बावजूद इसके उनका संसदीय ज्ञान सवालों से परे है क्योंकि वे राजस्थान में संसदीय कार्य मंत्री रहने के साथ ही एक विधायक के रूप में सर्वाधिक सवाल करने वाले नेता भी रहे हैं ।बिरला के निर्वाचन के बाद लोकसभा अध्यक्ष बनने के लिए प्रयत्नशील लोगों के बारे में चर्चा बेमानी है,अब चर्चा इस बात की हो सकती है की क्या श्री ओम बिरला पहले लोकसभा अध्यक्ष गणेश  वासुदेव मावलंकर से आरम्भ हुई परम्परा को आगे बढ़ा सकेंगे ?बिरला से पहले श्रीमती सुमित्रा महाजन लोकसभा अध्यक्ष के रूप में खासी विवादास्पद रहीं और उन पर अनेक अवसरों पर पक्षपात के आरोप भी लगे ,लोकसभा के लाइव कव्हरेज में भी लोगों को ऐसा ही प्रतीत हुआ ।
बिरला को सर्व सम्मति  से चुना गया है ये सबसे महत्वपूर्ण बात है।ओम बिरला से पहले सोलह में से दो-तीन को छोड़कर अधिकाँश लोकसभा अध्यक्ष एक तो कांग्रेस से आये दुसरे उनमने से अधिकाँश राजयपाल या न्यायाधीश रहे थे ।गैर कांग्रेसी लोकसभा अध्यक्षों में जीएम बालयोगी,मनोहर जोशी ,सोमनाथ चटर्जी और सुमित्रा महाजन ही हैं,इनमें से सुमित्रा ताई को छोड़ किसी को विवादों में नहीं घिरना पड़ा ।सबने बड़ी कुशलता से लोकसभा चलाई और लोकसभा की परम्पराओं को अक्षुण्ण रखा ।नए लोकसभा अध्यक्ष से भी ऐसी ही उम्मीद की जा सकती है ।लोकसभा अध्यक्ष की राजनीतिक निष्ठाएं अपनी जगह हैं किन्तु पूरी लोकसभा को संचालित करने के लिए चुना जाना अलग है।खुद प्रधानमंत्री ने कहा है कि ओम बिरला की विनम्रता से भी डर लगता है ।भगवान करे कोई ओम जी सफल लोकसभा अध्यक्ष साबित हों ,उन पर किसी का पिछलग्गू होने का आरोप कभी न लगे,वे सभी सदस्यों के हितों और अधिकारों की रक्षा करने में कामयाब हों ।वे कुशल संगठक,समाजसेवी और पर्यावरण प्रेमी हैं ।हमें उम्मीद है कि वे इन सभी विषयों को रेखांकित भी करते रहेंगे ।
  भाजपा का मौजूदा नेतृत्व जनमानस को चौंकाने में सिद्ध हस्त हो चुका है।भाजपा ने सबसे पहले राष्ट्रपति पद पर रामनाथ गोविंद को लाकर चौंकाया था और अबकी बार लोकसभा अध्यक्ष पद पर राजस्थान  के ओम बिरला को अपना प्रत्याशी बनाकर देश को चौंकाया है ।लोकसभा अध्यक्ष का पद संसदीय लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण पद है और इस पद पर अब तक आये 16  नेताओं में से कुछ को ही शृद्धा के साथ याद किया जाता है ।नए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के लिए इसी शृद्धा को हासिल करना एक चुनौती है । ओम बिरला का संसदीय जीवन बहुत लंबा…

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