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कांग्रेस में राहुल गांधी के विकल्प की तलाश, कार्यकारी अध्यक्ष के लिए रेस में 4 नाम

लोकसभा चुनाव 2019 में नरेंद्र मोदी की 'सुनामी'' में कांग्रेस को मिली करारी हार ने पार्टी नेताओं को अंदर तक हिलाकर रख दिया है. राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा वापस न लेने पर अड़े रहने की स्थिति में पार्टी के वरिष्ठ नेता एक कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने के मॉडल को अंतिम रूप दे रहे हैं. राहुल के विकल्प के लिए बुधवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता एके एंटनी की अध्यक्षता में बैठक हो रही है. इसमें सचिन पायलट, ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर प्रियंका गांधी और अशोक गहलोत सहित कई नाम शामिल हैं. जिनमें से किसी एक को कार्यकारी…

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लोकसभा चुनाव 2019 में नरेंद्र मोदी की ‘सुनामी” में कांग्रेस को मिली करारी हार ने पार्टी नेताओं को अंदर तक हिलाकर रख दिया है. राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा वापस न लेने पर अड़े रहने की स्थिति में पार्टी के वरिष्ठ नेता एक कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने के मॉडल को अंतिम रूप दे रहे हैं. राहुल के विकल्प के लिए बुधवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता एके एंटनी की अध्यक्षता में बैठक हो रही है. इसमें सचिन पायलट, ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर प्रियंका गांधी और अशोक गहलोत सहित कई नाम शामिल हैं. जिनमें से किसी एक को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जा सकता है.

दरअसल कांग्रेस में नए कार्यकारी अध्यक्ष की नियुक्ति कर पार्टी राहुल गांधी के कंधों से काम के कुछ बोझ को कम कर सकेगी. इसके अलावा कार्यकारी अध्यक्ष जहां दिन-प्रतिदिन के काम पर फोकस रखेंगे तो वहीं राहुल गांधी पार्टी का कायाकल्प करने की कोशिशों और बड़े लक्ष्य की ओर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं. यही वजह है कि राहुल के नए उत्तराधिकारी के नाम को लेकर पार्टी में लगातार मंथन हो रहा है.

सचिन पायलट

कांग्रेस को करीबी से देखने वालों के अनुसार कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर सचिन पायलट का नाम सबसे आगे है. पायलट मुखर वक्ता और जमीन से जुड़े हुए नेता के तौर पर जाने जाते हैं. वह 41 साल के हैं और युवाओं को पार्टी से जोड़ने में अहम भूमिका निभा सकते हैं. इसके अलावा उन्हें कांग्रेस के वफादार के तौर पर भी जाना जाता है और पार्टी के दिग्गज नेता रहे स्वर्गीय राजेश पायलट के बेटा हैं.

बता दें कि 2013 में कांग्रेस को राजस्थान में मिली करारी हार के बाद पार्टी को दोबारा से खड़ा करने के लिए सचिन पायलट को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर राजस्थान भेजा गया था. पायलट की पांच साल की मेहनत का नतीजा था कि 2018 के विधानसभा चुनाव में उनके चेहरे के सहारे कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की, लेकिन पार्टी आलाकमान ने मुख्यमंत्री पद का ताज अशोक गहलोत के सिर सजा दिया और सचिन पायलट को डिप्टी सीएम बनाया गया. सचिन पायलट को राहुल का करीबी माना जाता है. ऐसे में उनकी कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर नियुक्ति होती है तो वह पार्टी के कायाकल्प में अहम रोल अदा कर सकते हैं.

अशोक गहलोत

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम भी कार्यकारी अध्यक्ष की दौड़ में है. राहुल गांधी के लिए गहलोत उतना ही विश्वासपात्र हैं जितना सोनिया गांधी के लिए अहमद पटेल रहे हैं. कांग्रेस में गहलोत की स्वीकार्यता है. कैप्टन अमरिंदर सिंह, कमलनाथ और अशोक चव्हाण जैसे क्षेत्रीय क्षत्रपों के साथ उनका जबरदस्त तालमेल है.

गहलोत को एक हार्डकोर संगठन मैन के रूप में देखा जाता है. एक मुख्यमंत्री और सांसद होने के अलावा, गहलोत ने कई पदों पर कार्य किया है, जिसमें प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और अखिल भारतीय कांग्रेस के महासचिव से लेकर संगठन महासचिव में अपना योगदान दिया है. गहलोत 2017 में गुजरात विधानसभा चुनाव में प्रभारी थे, जहां बीजेपी को जीतने में कांग्रेस ने नाको चने चबवा दिए थे. इसके अलावा पिछले साल कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस सरकार बनवाने में अहम भूमिका अदा की थी.

ज्योतिरादित्य सिंधिया

कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया काम नाम भी है. सिंधिया का बहुत बड़ा राजनीतिक कद नहीं है, ऐसे में गांधी-नेहरू परिवार के लिए उपयुक्त और फिट बैठ सकते हैं. लेकिन लोकसभा चुनाव में उनका जिस तरह से प्रदर्शन रहा है, उसे देखते हुए उनकी राह में मुश्किल हो सकती है. सिंधिया यूपी के प्रभारी थे, जहां पार्टी ने काफी खराब प्रदर्शन किया और खुद भी गुना सीट पर हार गए हैं.

इससे भी बड़ी बात यह है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस के गुटबाजी का एक केंद्र माने जाते हैं. कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया में से कोई हाई कमान के करीब जाता दिखेगा तो दूसरा गुट उसकी राह में रोड़ा अटकाएगा.

प्रियंका गांधी वाड्रा

कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर प्रियंका गांधी वाड्रा का नाम रेस में है, गांधी-नेहरू परिवार के लिहाज से यह नाम एकदम सही विकल्प है. ऐसे में कांग्रेस के नेता दूसरे गांधी के हाथों में कमान दिए जाने का स्वागत कर सकते हैं. प्रियंका गांधी में बहुत कुछ है. वह युवा हैं और कार्यकर्ताओं से सीधे जुड़ती हैं और सबसे अच्छी बात यह है कि हाजिर जवाबी हैं लेकिन लोकसभा चुनाव में कोई खास प्रभाव नहीं दिखा सकी हैं.

प्रियंका ज्यादातर अपनी मां सोनिया गांधी और भाई राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र में ही सक्रिय रही हैं. ऐसे में सवाल यह है कि क्या वह एक पूर्णकालिक राजनेता बनने की इच्छुक होंगी? प्रियंका गांधी की राह में दूसरी बाधा यह है कि उनके पति रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ आर्थिक अपराध के मामले चल रहे हैं. इन सारे आरोपों को लेकर बीजेपी वाड्रा के बहाने गांधी परिवार को घेरते रही है. ऐसे में क्या प्रियंका गांधी कांग्रेस की कमान संभालेंगी.इसके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रियंका को अध्यक्ष बनाए जाने के खिलाफ हैं.

कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर इन चार नामों के अलावा भी कई नाम हैं. इनमें जयराम रमेश, अहमद पटेल, गुलाम नबी आजाद और दिग्विजय सिंह शामिल हैं. ऐसे पार्टी एक कार्यकारी अध्यक्ष का चुनाव करने का फैसला करती है तो किसे चुना जाएगा? यह देखा जाना दिलचस्प होगा.

लोकसभा चुनाव 2019 में नरेंद्र मोदी की 'सुनामी'' में कांग्रेस को मिली करारी हार ने पार्टी नेताओं को अंदर तक हिलाकर रख दिया है. राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा वापस न लेने पर अड़े रहने की स्थिति में पार्टी के वरिष्ठ नेता एक कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने के मॉडल को अंतिम रूप दे रहे हैं. राहुल के विकल्प के लिए बुधवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता एके एंटनी की अध्यक्षता में बैठक हो रही है. इसमें सचिन पायलट, ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर प्रियंका गांधी और अशोक गहलोत सहित कई नाम शामिल हैं. जिनमें से किसी एक को कार्यकारी…

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