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अचलेश्वर: ठेकेदार को अल्टीमेटम के बाद जीर्णोद्धार कार्य शुरू

अचलेश्वर महादेव मंदिर के जीर्णोद्धार कार्य में हो रही देरी को लेकर अचलेश्वर न्यास द्वारा ठेकेदार को नोटिस जारी कर दिए गए अल्टीमेटम के बाद निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया है। सोमवार को ठेकेदार ने क्रेन की मदद से मंदिर निर्माण के लिए शिलाओं को मंदिर के पास रखना प्रारंभ कर दिया है। हालांकि अभी भी मंदिर निर्माण कार्य पूर्ण होने में एक साल से अधिक का समय लगने की उम्मीद जताई जा रही है। अचलेश्वर महादेव मंदिर के जीर्णशीर्ण हो जाने के बाद इसके पुनर्निर्माण के लिए ठेका दिया गया था। निर्माण कार्य प्रारंभ होने के बाद मंदिर की…

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अचलेश्वर महादेव मंदिर के जीर्णोद्धार कार्य में हो रही देरी को लेकर अचलेश्वर न्यास द्वारा ठेकेदार को नोटिस जारी कर दिए गए अल्टीमेटम के बाद निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया है। सोमवार को ठेकेदार ने क्रेन की मदद से मंदिर निर्माण के लिए शिलाओं को मंदिर के पास रखना प्रारंभ कर दिया है। हालांकि अभी भी मंदिर निर्माण कार्य पूर्ण होने में एक साल से अधिक का समय लगने की उम्मीद जताई जा रही है।

अचलेश्वर महादेव मंदिर के जीर्णशीर्ण हो जाने के बाद इसके पुनर्निर्माण के लिए ठेका दिया गया था। निर्माण कार्य प्रारंभ होने के बाद मंदिर की छत को उतार कर हटा दिया गया था। लेकिन इसके बाद से कार्य बंद पड़ा हुआ था। मंदिर निर्माण को लेकर लगातार उठा रहे सवालों के बाद अचलेश्वर महादेव सार्वजनिक न्यास द्वारा ठेकेदार को नोटिस जारी कर 24 घण्टे में कार्य प्रारंभ करने का अल्टीमेटम दिया था। नोटिस में लिखा था कि अगर 24 घण्टे में कार्य प्रारंभ नहीं हुआ तो ठेकेदार के खिलाफ दण्डात्मक कार्यवाही की जाएगी। इसके बाद सोमवार को ठेकेदार जगदीश मित्तल ने सोमवार को क्रेन भेजकर मंदिर निर्माण के लिए शिलाओं को निर्माण स्थल पर लाना प्रांरभ कर दिया है।

शिलाएं पूर्व में हो चुकी हैं तैयार

अलचेश्वर महादेव मंदिर के निर्माण कार्य के लिए पूर्व में ही शिलाओं को तैयार कर लिया गया था। इन शिलाओं को बनाने के लिए राजस्थान के बंशीपहाड़ से पत्थर मंगाया गया था। मंदिर पर लगने वाले पत्थरों पर भी कलाकृति आदि बनाई जा चुकी हैं।

नागर शैली में होगा मंदिर का निर्माण

अचलेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण नागर शैली में किया जाएगा। नागर शैली में पत्थरों की विशाल शिलाओं का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें सबसे नीचे अर्धमण्डपम आता है इसके बाद मण्डपा इसके बाद शिखहारा, अमालका और अंत में मंदिर के सबसे ऊपर कलश स्थापित किया जाता है।

इस तकनीक से बनाया जाएगा मंदिर

नागर शैली में पत्थरों की शिलाओं को आपस में जोड़ने के लिए उड़द की दाल, सूर्खी (ईंट का बारिक चूरा) सनबूझ और गुड के मिश्रण का उपयोग किया जाता है।

इस तकनीक से बनी इमारतें रहती हैं बेमियादी

वर्तमान शैली में बनी इमारतों की मियाद होती है। जो 50 साल से लेकर 150 साल तक की हो सकती है। लेकिन प्राचीन तकनीक से बनी इमारतों की कोई मियाद नहीं होती है। भारत में आज भी हजारों साल पहले बनी इमारतें मौजूद हैं जिन्हें इसी तकनीक से बनाया गया था।

 अचलेश्वर महादेव मंदिर के निर्माण का कार्य आज से प्रारंभ हो गया है। मंदिर का निर्माण कार्य लगातार जारी रहे इसके लिए हम ठेकेदार के संपर्क में रहेंगे। साथ ही निर्माण कार्य को अपनी देखरेख में कराएंगे। हम सभी भक्तों को विश्वास दिलाते हैं कि जल्द ही मंदिर का निर्माण कार्य पूर्ण होगा और मंदिर गौरवशाली और शानदार बनेगा।

हरिबाबू शिवहरे

अध्यक्ष अचलेश्वर महादेव मंदिर निर्माण समिति

 

अचलेश्वर मंदिर के निर्माण कार्य में हो रही देरी को लेकर कमेटी ने ठेकेदार को नोटिस जारी किया था। इस नोटिस के बाद ठेकेदार ने फिर से कार्य प्रांरभ कर दिया है।

हरीदास अग्रवाल

अध्यक्ष अचलेश्वर महादेव मंदिर सार्वजनिक न्यास

अचलेश्वर महादेव मंदिर के जीर्णोद्धार कार्य में हो रही देरी को लेकर अचलेश्वर न्यास द्वारा ठेकेदार को नोटिस जारी कर दिए गए अल्टीमेटम के बाद निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया है। सोमवार को ठेकेदार ने क्रेन की मदद से मंदिर निर्माण के लिए शिलाओं को मंदिर के पास रखना प्रारंभ कर दिया है। हालांकि अभी भी मंदिर निर्माण कार्य पूर्ण होने में एक साल से अधिक का समय लगने की उम्मीद जताई जा रही है। अचलेश्वर महादेव मंदिर के जीर्णशीर्ण हो जाने के बाद इसके पुनर्निर्माण के लिए ठेका दिया गया था। निर्माण कार्य प्रारंभ होने के बाद मंदिर की…

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