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15 साल बाद मध्यप्रदेश की सत्ता में हुई कांग्रेस की वापसी, विरासत में मिली सिर्फ चुनौतियां

मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने 15 साल के लंबे संघर्ष के बाद सत्ता का सूखा खत्म कर दिया लेकिन, इस जीत के पीछे कई रणनीति ने एक साथ काम किया जिसका नतीजा ये हुआ की 6 महीने पहले कांग्रेस के नेता भी प्रदेश में कांग्रेस की वापसी को लेकर आवश्वस्त नहीं थे. लेकिन, वहीं कांग्रेस ने जीत हासिल की. कांग्रेस की जीत का पहला सूत्र रहा एकजुटता रहा. सारे बड़े नेता हर जगह एक साथ नजर आए और कार्यकर्ताओं में भी ये संदेश जमीन तक पहुंचाया गया. कौन हैं कमलनाथ ? 17 नवंबर को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बनने जा रहे कमलनाथ…

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मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने 15 साल के लंबे संघर्ष के बाद सत्ता का सूखा खत्म कर दिया लेकिन, इस जीत के पीछे कई रणनीति ने एक साथ काम किया जिसका नतीजा ये हुआ की 6 महीने पहले कांग्रेस के नेता भी प्रदेश में कांग्रेस की वापसी को लेकर आवश्वस्त नहीं थे. लेकिन, वहीं कांग्रेस ने जीत हासिल की. कांग्रेस की जीत का पहला सूत्र रहा एकजुटता रहा. सारे बड़े नेता हर जगह एक साथ नजर आए और कार्यकर्ताओं में भी ये संदेश जमीन तक पहुंचाया गया.

कौन हैं कमलनाथ ?
17 नवंबर को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बनने जा रहे कमलनाथ का जन्म यूपी के कानपुर में 18 नवम्बर 1946 में हुआ था. कमलनाथ लोकसभा के अतिवरिष्ट सांसदों में शुमार हैं. 7 बार से छिंदवाड़ा के सांसद कमलनाथ गांधी परिवार के बेहद खास हैं, जब इंदिरा गांधी ने उन्हें छिंदवाड़ा भेजा था तो ये कहा था की मेरे तीसरे बेटे को छिंदवाड़ा की जनता को सौंप रही हूं. कमलनाथ केंद्र में कई मंत्री पद पर रहे लेकिन, एमपी की राजनीति में सक्रिय भूमिका नहीं निभाई.

सिंधिया की क्या रहेगी भूमिका?
कांग्रेस प्रदेश में चुनाव भले ही जीत गई हो, लेकिन गुटबाजी से पूरी तरह से उबर नहीं पाई है. सीएम बनने को लेकर हुई रस्साकसी के दौरान गुटबाजी साफ दिखाई दी. विधायक सिंधिया और कमलनाथ के गुट में बंट गए. सूबे की कमान कमलनाथ के हाथों में सौंपे जाने के बाद अब सिंधिया की प्रदेश की अपेक्षा दिल्ली की राजनीति में ही ज्यादा दिखाई देंगे. संभव है कि उनकी सक्रियता 2019 के लोकसभा चुनावों में ही दिखाई दे. हालांकि सिंधिया की कोशिश अपने गुट के विधायकों को कैबिनेट में बेहतर जगह दिलानी की होगी. कैबिनेट में क्षत्रपों के समर्थकों के बीच बैलेंस जरूर बना लिया जाए, लेकिन प्रदेश कांग्रेस के नेता भी नहीं चाहेंगे कि सिंधिया की प्रदेश में बहुत ज्यादा सक्रियता रहे.

दिग्विजय का भविष्य क्या ?
मध्यप्रदेश मे 15 साल बाद सत्ता पर काबिज हुई कांग्रेस के जीत के सूत्रधार पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह रहे. दिग्विजय के समन्वय के दम पर गुटों में बंटी कांग्रेस एकजुट हो गई. अब कयास लगाए जा रहे हैं कि अशोक गहलोत के राजस्थान वापस जाने के बाद दिग्गी को केंद्र मे फिर से संगठन मे महत्वपूर्ण पद मिल सकता है.

शपथ के बाद मंत्रिमंडल का गठन
कांग्रेस ने अपने विधायक दल के नेता के रूप में कमलनाथ सिंह को चुना है, प्रदेश के नए मुख्यमंत्री कमलनाथ होंगे, जो कि 17 तारीख को शपथ लेंगे, हालांकि अभी तक मंत्रिमंडल के नामों की घोषणा नहीं की गई है. इसको लेकर कांग्रेस के अंदर खाने उठा पठक चल रही है. माना जा रहा है कि आरिफ अकील, तरुण भनोट, पीसी शर्मा, बाला बच्चन, गोविंद सिंह, गोविंद राजपूत, जयवर्धन सिंह मुख्य रूप से मंत्रिमंडल में शामिल होंगे, वहीं राज्यमंत्री के रूप में सुखदेव पांसे, सुरेंद्र सिंह, प्रियंवत सिंह के नामों की चर्चा जोरों पर हैं. हालांकि, सपा और बसपा के विधायकों के प्रथम चरण में मंत्री बनने की संभावना अभी नजर नही आ रही है.

मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने 15 साल के लंबे संघर्ष के बाद सत्ता का सूखा खत्म कर दिया लेकिन, इस जीत के पीछे कई रणनीति ने एक साथ काम किया जिसका नतीजा ये हुआ की 6 महीने पहले कांग्रेस के नेता भी प्रदेश में कांग्रेस की वापसी को लेकर आवश्वस्त नहीं थे. लेकिन, वहीं कांग्रेस ने जीत हासिल की. कांग्रेस की जीत का पहला सूत्र रहा एकजुटता रहा. सारे बड़े नेता हर जगह एक साथ नजर आए और कार्यकर्ताओं में भी ये संदेश जमीन तक पहुंचाया गया. कौन हैं कमलनाथ ? 17 नवंबर को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बनने जा रहे कमलनाथ…

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