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ग्वालियर। चुनाव से पहले और मध्य में राजनीतिक दलों में आरोप-प्रत्यारोप व अंतरकलह स्वाभिवक है। कांग्रेस ऐसी पहली पार्टी है जहां चुनाव के दो दिन बाद ही हो रही नियुक्तियों पर बबाल मच गया है। मतदान के दूसरे दिन कांग्रेस ने ग्रामीण के अध्यक्ष प्रभुदयाल जौहरे की छुट्टी कर टिकट नहीं मिलने से नाराज केदार कंसाना को ग्रामीण का जिला अध्यक्ष नियुक्त कर दिया। इस नियुक्ति पर कांग्रेस में विवाद शुरू हो गया।
जौहरे समर्थकों ने इस नियुक्ति पर आपत्ति करते हुए कहा कि चुनाव में अनुसूचित वर्ग के वोट हथियाने के लिए समाज के व्यक्ति को ग्रामीण का मुखिया बनाया और दस माह बाद ही बगैर कारण बताए उन्हें पद से हटा दिया। मीडिया से चर्चा के दौरान प्रभुदयाल जौहरे भी होटल के नीचे मौजूद थे। प्रभुदयाल जौहरे के समर्थन में मीडिया से चर्चा करते हुए भोला पाल, लाखन सिंह राजे, योगेश दंडौतिया, महेश जाटव ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में कमल नाथ को मुख्यमंत्री बनाने के लिए अथक परिश्रम किया, उसका इनाम कांग्रेस ने पदमुक्त करने के रूप में दिया। जो लोग चुनाव में कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवार का विरोध कर रहे थे, उन्हें पुरस्कृत किया जा रहा है। इन लोगों ने आरोप लगाया कि कल्याण कंसाना ने अपने परिवार ने चुनाव में कांग्रेस का विरोध किया था। उन्होंने कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष व संगठन प्रभारी राजीव सिंह पर नियुक्तियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि यह नियुक्ति पैसा लेकर की गई है।