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शिवराज के घर में अरुण यादव ने ठोकी ताल

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए जैसे-जैसे प्रत्याशियों की सूची सामने आती गई, वैसे-वैसे इसका रोमांच बढ़ता गया. आखिरी दौर में जब दोनों बड़ी पार्टियों के कुल मिलाकर करीब एक दर्जन प्रत्याशियों की घोषणा बाकी थी, तभी कांग्रेस के एक दांव से सभी राजनीतिज्ञ विशलेषज्ञ भी अंचभित रह गये. पार्टी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को घेरने के लिये कद्दावर नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव को बुधनी से चुनावी मैदान में उतार दिया. सीहोर जिले में आने वाली बुधनी विधानसभा सीट शिवराज का गढ़ मानी जाती है. कांग्रेस को यहां हर चुनाव में हार ही हाथ लगी. लेकिन, इस…

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मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए जैसे-जैसे प्रत्याशियों की सूची सामने आती गई, वैसे-वैसे इसका रोमांच बढ़ता गया. आखिरी दौर में जब दोनों बड़ी पार्टियों के कुल मिलाकर करीब एक दर्जन प्रत्याशियों की घोषणा बाकी थी, तभी कांग्रेस के एक दांव से सभी राजनीतिज्ञ विशलेषज्ञ भी अंचभित रह गये.
पार्टी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को घेरने के लिये कद्दावर नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव को बुधनी से चुनावी मैदान में उतार दिया. सीहोर जिले में आने वाली बुधनी विधानसभा सीट शिवराज का गढ़ मानी जाती है. कांग्रेस को यहां हर चुनाव में हार ही हाथ लगी. लेकिन, इस बार कांग्रेस-बीजेपी से आर-पार की लड़ाई के मूड में दिख रही है. दिग्गजों को घेरने की रणनीति पर काम कर रही कांग्रेस ने सियासी शतरंज पर बीजेपी के राजा शिवराज को घेरने के लिये अरुण यादव के रुप में एक मजबूत वजीर को सामने लाकर बीजेपी के होश उड़ा दिये.

शिवराज का गढ़ है बुधनी
1957 में बनी सीहोर जिले की बुधनी विधानसभा सीट वर्तमान सीएम शिवराज सिंह चौहान का गढ़ मानी जाती है. वे यहां से चार बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. शिवराज पहली बार 1990 में चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. जबकि 2006 में इसी सीट से उपचुनाव जीतकर उन्होंने सूबे की कमान संभाली थी. इसके बाद 2008 और 2013 में सीएम शिवराज बुधनी से विधायक चुने गये और हर बार उनकी जीत का मार्जिन बढ़ता गया. यही वजह है कि बुधनी विधानसभा सीट शिवराज के गढ़ के रुप में स्थापित हो चुकी है.

क्या इस बार बुधनी का तिलिस्म तोड़ पाएगी कांग्रेस?
बुधनी विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने हर बार शिवराज सिंह चौहान को घेरने के लिये अपने मजबूत सिपाहियों को मोर्चे पर तैनात किया, लेकिन हर बार उसे मात खानी पड़ी. 2006 में पार्टी ने यहां दिग्विजय सरकार में मंत्री रहे स्थानीय नेता राजकुमार पटेल को शिवराज के खिलाफ मैदान में खड़ा किया था. चुनाव में उन्हें शिवराज सिंह के हाथों 36 हजार वोटों से मात खानी पड़ी. 2008 में बुधनी से एक बार फिर स्थानीय नेता महेश राजपूत को खड़ा किया गया, लेकिन महेश राजपूत की भी इस सीट से 41 हजार वोटों से शिकस्त हो गई. वहीं 2013 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने महेंद्र सिंह चौहान को शिवराज के सामने खड़ा कर बुधनी की लड़ाई चौहान वर्सेज चौहान कर दी, लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस को अब तक की सबसे बड़ी हार मिली. महेंद्र सिंह चौहान 84 हजार वोटों से चुनाव हार गये.

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए जैसे-जैसे प्रत्याशियों की सूची सामने आती गई, वैसे-वैसे इसका रोमांच बढ़ता गया. आखिरी दौर में जब दोनों बड़ी पार्टियों के कुल मिलाकर करीब एक दर्जन प्रत्याशियों की घोषणा बाकी थी, तभी कांग्रेस के एक दांव से सभी राजनीतिज्ञ विशलेषज्ञ भी अंचभित रह गये. पार्टी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को घेरने के लिये कद्दावर नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव को बुधनी से चुनावी मैदान में उतार दिया. सीहोर जिले में आने वाली बुधनी विधानसभा सीट शिवराज का गढ़ मानी जाती है. कांग्रेस को यहां हर चुनाव में हार ही हाथ लगी. लेकिन, इस…

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