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सिंधिया को चुनौती देने दिग्विजय ने उनके ही गढ़ में मोर्चा संभाला, निशाने पर समर्थक

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को उनके ही गढ़ में चुनौती देने के लिये मोर्चा संभाल लिया है। दिग्विजय सिंह ने ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की क्लास में अपने इरादे भी साफ कर दिये हैं। उन्होंने क्लास के विद्यार्थियों (कार्यकर्ताओं) से साफ शब्दों में कहा कि उनसे (सिंधिया से) डरने की जरूरत नहीं हैं। क्योंकि आप ही के विधानसभा क्षेत्र के चार कार्यकर्ताओं ने उन्हें जमीन दिखा दी है। कांग्रेस के साथ विश्वासघात करने के बाद अंचल में उनकी स्थिति क्या है, यह स्पष्ट हो गया है। उनका इशारा नगरीय निकाय चुनाव में जिस क्षेत्र…

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पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को उनके ही गढ़ में चुनौती देने के लिये मोर्चा संभाल लिया है। दिग्विजय सिंह ने ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की क्लास में अपने इरादे भी साफ कर दिये हैं। उन्होंने क्लास के विद्यार्थियों (कार्यकर्ताओं) से साफ शब्दों में कहा कि उनसे (सिंधिया से) डरने की जरूरत नहीं हैं। क्योंकि आप ही के विधानसभा क्षेत्र के चार कार्यकर्ताओं ने उन्हें जमीन दिखा दी है।
कांग्रेस के साथ विश्वासघात करने के बाद अंचल में उनकी स्थिति क्या है, यह स्पष्ट हो गया है। उनका इशारा नगरीय निकाय चुनाव में जिस क्षेत्र में सिंधिया सभा की और अपनी नाक का सवाल बताया था, उसी के आसपास के चार वार्ड भाजपा हार गई। इनमें प्रद्युम्न सिंह तोमर का गृह वार्ड भी शामिल है। अंचल में उनके निशाने पर भाजपा की बजाय सिंधिया को साथ उनके टारगेट कांग्रेस छोड़कर आए उनके समर्थक होंगे। दिग्विजय सिंह और कमल नाथ की रणनीति है कि सिंधिया के नजदीकी समर्थकों को राजनीतिक चक्रव्यूह की संरचना कर उन्हें कमजोर कर सरकार गिराने का हिसाब चुकता किया जाए।
कांग्रेस सिंधिया व उनके समर्थकों पर जुबानी जंग से मनोवैज्ञानिक दवाब बनाएगी। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया व पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंदिता जगजाहिर है। ज्योतिरािदत्य सिंधिया के कांग्रेस को छोड़ने के बीच कही न कही दिग्विजय सिंह की परदे के पीछे की राजनीति को जिम्मेदार माना जाता है। सिंधिया व दिग्विजय सिंह के बीच राजनीतिक दुश्मनी के पीछे केवल राजनीतिक प्रतिद्वंदित नहीं, पारिवारिक टीस भी है। इनके द्वंद जो नजर आते हैं। यही कारण है दोनों के एक ही दल होने के बाद भी तक दोनों के बीच शीतयुद्ध चला। इसकी परिणति सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के रूप में हुई।
रणनीति के दूसरे चरण में कांग्रेस ज्योतिरादित्य सिंधिया के नजदीकी प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी, मुन्नालाल गोयल, ओपीएस भदौरिया, तुलसीराम सिलावट, डा. प्रभुराम चौधरी, गोविंद सिंह राजपूत, सुरेश धाकड़, जसवंत जाटव, रणवीर जाटव, महेंद्र सिंह सिसौदिया, गिरिराज दंडौतिया, जजपाल जज्जी, रक्षा सरोनिया, जसवंत जाटव सहित 22 समर्थकों को घेरनी की होगी। किंतु कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में इन लोगों के इर्द-गिर्द राजनीतिक चक्रव्यूह की संरचना शुरु कर दी है।
चुनाव से पहले कांग्रेस के बड़े नेता अंचल के दौरे कर उन पर जुबानी हमला कर सिंधिया व उनके समर्थकों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाएंगे। इस हमले का नेतृत्व दिग्विजय सिंह स्वयं करेंगे। क्योंकि वे जुबानी जंग के माहिर खिलाड़ी माने जाते थे। इस जंग में विश्वासघात, सिंधिया परिवार का इतिहास और पैसा लेकर सरकार गिराने जैसे मुद्दे प्रमुख हथियार होंगे।

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को उनके ही गढ़ में चुनौती देने के लिये मोर्चा संभाल लिया है। दिग्विजय सिंह ने ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की क्लास में अपने इरादे भी साफ कर दिये हैं। उन्होंने क्लास के विद्यार्थियों (कार्यकर्ताओं) से साफ शब्दों में कहा कि उनसे (सिंधिया से) डरने की जरूरत नहीं हैं। क्योंकि आप ही के विधानसभा क्षेत्र के चार कार्यकर्ताओं ने उन्हें जमीन दिखा दी है। कांग्रेस के साथ विश्वासघात करने के बाद अंचल में उनकी स्थिति क्या है, यह स्पष्ट हो गया है। उनका इशारा नगरीय निकाय चुनाव में जिस क्षेत्र…

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