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ग्वालियर में गारबेज शुल्क को लेकर मध्य प्रदेश चेंबर ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्री के सदस्य व पदाधिकारी सहित व्यापारी आक्रोशित है। व्यापारियों का कहना है कि इंदौर, भोपाल के मुकाबले कई गुना अधिक गारबेज शुल्क ग्वालियर से क्या वसूला जा रहा है। इसे तत्काल वापस लिया जाए। इसके लिए चेंबर ऑफ कॉमर्स के नेतृत्व में व्यापारी लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। अब व्यापारी गारबेज शुल्क पर स्थानीय प्रशासन की वादाखिलाफी से नाराज हैं। व्यापारियों ने चेतावनी दी है कि गारबेज शुल्क भोपाल, इंदौर के बराबर नहीं हुआ तो व्यापारी विधायक, मंत्रियों के घरों पर जाकर धरना देंगे।
मध्य प्रदेश चेंबर ऑफ कॉमर्स के पदाधिकारियों का कहना है कि ग्वालियर शहर में जब ‘गारबेज शुल्क’ आरोपित किया गया, उस समय परिषद अस्तित्व में नहीं थी। नगर-निगम, आयुक्त के प्रस्ताव पर प्रशासक महोदय ने सहमति जताते हुए, इसे आरोपित कर दिया था । परिणामतः यह दरें भोपाल, इंदौर, जबलपुर की तुलना में बहुत अधिक थी । इसमें सबसे बड़ी विसंगति यह की गई कि इसे सम्पत्ति कर से लिंक कर दिया गया । मसलन सम्पत्ति कर ‘गारबेज शुल्क’ जमा किए बिना, जमा नहीं किया जा सकता था । तत्काल यह विषय वर्तमान में प्रदेश के ऊर्जा मंत्री-माननीय प्रद्युम्न सिंह तोमर सहित सभी की जानकारी में लाया गया और एक बैठक तत्कालीन संभागीय आयुक्त के निवास पर माननीय ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, MPCCI के पदाधिकारी और निगमायुक्त सहित अन्य प्रशासनिक व जनप्रतिनिधियों के साथ हुई, जिसमें यह तय किया गया कि गारबेज शुल्क को ऐच्छिक कर सम्पत्ति कर अलग जमा किया जा सकेगा और गारबेज शुल्क के युक्तियुक्तकरण पर कार्यवाही जारी रहेगी । इस निर्णय के बाद पिछले तीन वर्षों से लोग सम्पत्ति कर आसानी से जमा कर रहे थे।