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ग्वालियर। अनुविभाग भितरवार के ग्राम भेसनारी स्थित सिंध नदी घाट पर रेत माफियाओं द्वारा अवैध रूप से रेत का उत्खनन कर परिवहन करने की निरंतर शिकायतें कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह एवं माइनिंग विभाग के अधिकारियों को काफी लंबे समय से मिल रही थी, लेकिन रेत माफियाओं के राजनैतिक रसूख के आगे प्रशासन कार्रवाई करने से बचता आ रहा था| पिछले कुछ दिनों से रेत के अवैध उत्खनन को लेकर निरंतर शिकायतें मिल रही थी। इसी के आधार पर ग्वालियर कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह के निर्देश पर माइनिंग विभाग की टीम रेत खदान पर पहुंची| इस दौरान 1 दर्जन से अधिक ट्रैक्टर ट्रॉली अवैध रूप से रेत के ओवरलोड भरे हुए खदान पर मिले जिनमें से 4 ट्रैक्टर ट्रॉली को मौके पर गए माइनिंग विभाग के अधिकारियों ने जप्त कर भितरवार पुलिस थाने में रखवाया और आगे की कार्रवाई प्रस्तावित की।
बता दें की भेसनाई स्थित सिंध नदी रेत खदान पर रेत माफियाओं द्वारा राजनीतिक संरक्षण और प्रशासनिक सांठगांठ के चलते पनडुब्बी डालकर नदी से रेत का उत्खनन कर परिवहन किया जा रहा था। नदी घाट से हो रहे अवैध उत्खनन और परिवहन को लेकर कई बार लोगों के द्वारा शिकायत की गई, लेकिन राजनीतिक संरक्षण और प्रशासनिक सांठगांठ के चलते कोई भी कार्यवाही रेत माफियाओं पर नहीं की गई। वहीं माइनिंग विभाग द्वारा की गई कार्यवाही से भी स्पष्ट अंदाजा लगाया जा सकता है कि रेत माफिया कितने ताकतवर है कि कार्रवाई के दौरान जब माइनिंग विभाग के अधिकारियों को मौके पर 1 दर्जन से अधिक अवैध रूप से ओवरलोड भरे रेत के ट्रैक्टर ट्रॉली मिले तो चार ट्रैक्टर ट्रॉली पर ही क्यों कार्यवाही की गई? तो दूसरी ओर यह भी प्रश्न उभरकर आ रहा है कि नदी के अंदर पड़ी पनडुब्बियों पर भी क्यों कार्यवाही नहीं की गई? यह दो प्रश्न माइनिंग विभाग की कार्यवाही को लेकर जगह-जगह चर्चा का विषय बने हुए है। जबकि देखा जाए तो माइनिंग विभाग के अमले की मौजूदगी में 1 दर्जन से अधिक अवैध रूप से रेत के भरे हुए ट्रैक्टर ट्रॉली रेत खदान पर रखे हुए हैं जिसका फोटो भी जमकर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। उन सब के बावजूद मौके पर मिले सारे ट्रैक्टरों पर क्यों कार्यवाही नहीं की गई। हालांकि माइनिंग विभाग द्वारा मौके से 4 रेत के ओवरलोड भरे हुए ट्रैक्टर ट्रॉली को जप्त कर भितरबार थाने लाया गया और उन्हें पुलिस की अभिरक्षा में रखवा कर आगे की कार्रवाई प्रस्तावित की गई है।
भेसनाई सिंध नदी घाट पर बड़े पैमाने पर रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन पिछले कई महीनों से किया जा रहा है। जबकि देखा जाए तो जिले में कोई भी रेत खदान के संचालन संबंधी वैद्य ठेकेदार नहीं है उसके बावजूद किस के निर्देश और किसके संरक्षण में रेत का काला कारोबार क्षेत्र में फल फूल रहा था। जिससे प्रतिदिन लाखों रुपए के राजस्व की हानि सरकार को भी पहुंचाई जा रही थी तो करोड़ों रुपए की लागत से बनाई गई सड़कों को भी क्षति पहुंचाई जा रही थी।