Review Overview
ग्वालियर। ग्वालियर भाजपा में आजकल सबकुछ ठीक नहीं है। मूल भाजपाईयों से किनार कर सिंधिया समर्थकों पर प्यार लुटाया जा रहा है। ताजा मामला सिंधिया समर्थक भाजपाई किशन मुदगल का है। किशन मुदगल के साथ ही उनके भाई जितेन्द्र मुदगल और बेटे कपिल मुदगल भाजपा की आंख के तारे बन बैठे है। तीनों को भाजपा ने पदों से सुशोभित किया है।
आपको बता दें कि कभी कांग्रेस में किशन मुदगल की तूती बोला करती थी। आज भाजपा में भी उन्हें वही सम्मान मिल रहा है और लगातार किशन मुदगल का कद बढ़ता जा रहा है। किशन मुदगल को केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का बेहद करीबी माना जाता है। जब सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ी तो उनके संग पहली पंक्ति में कांग्रेस छोड़ने वालों में किशन मुदगल भी शुमार रहे। किशन मुदगल को आज इसी का इनाम मिल रहा है। भाजपा में अब उनकी तूती बोलने लगी है। सिंधिया के करीबीयों पर भाजपा हाईकमान लगातार प्रेम उमड़ा रहा है। आज भाजपा में किशन मुदगल प्रदेश कार्यसमिति सदस्य है। जबकि उनसे भी वरिष्ठ मूल भाजपाई व जमीनी नेताओं को पार्टी द्वारा घर बैठा दिया गया है। लेकिन मुगदल परिवार पर भाजपा का प्रेम यही नहीं खत्म हुआ। इसके बाद नगर निगम के चुनावों में किशन मुदगल के छोटे भाई जितेन्द्र मुदगल को पार्षदी का टिकट भी पार्टी द्वारा दिया गया। चुनावों में जितेन्द्र फतह हासिल कर अब भाजपा के पार्षद बन गये है। भाजपा के प्यार की बारिश मुदगल परिवार पर यहां भी नहीं थमी। अब किशन मुदगल के बेटे कपिल को हाल ही में आई भारतीय जनता युवा मोर्चा की कार्यकारिणी में जिला उपाध्यक्ष पद से नवाजा गया है।
सिंधिया समर्थक एक परिवार पर भाजपा का यह उदारवादी चेहरा क्यों सामने आया है? ऐसा नहीं है कि अंचल में मुदगल परिवार पर ही भाजपा प्रेम बरसा रही है। कई अन्य सिंधिया समर्थकों को भी लगातार पदों पर बैठाया गया है। जबकि मूल भाजपाई उपेक्षित और निराश है। उनको अब भाजपा में सिद्धांतवादी चेहरा नजर नहीं आ रहा है। ग्वालियर अंचल में भाजपा महल के ईर्द गिर्द ही आकर थम सी गई है और सिंधिया के लोगों पर दुलार लुटा रही है। मुदगल परिवार इसका सबसे बड़ा उदाहरण है और भाजपा में फलते फूलते परिवारवाद का गवाह भी।