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“सुप्रशासन हेतु आध्यात्मिकता”  पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित 

ग्वालियर: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी संस्थान द्वारा "सुप्रशासन हेतु आध्यात्मिकता" पर एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन सूर्या रोशनी कंपनी प्राइवेट लिमिटेड ,मालनपुर ग्वालियर के सभागार में आयोजित किया गया।इस कार्यक्रम से कंपनी के यूनिट हेड भ्राता तपन बंधोपाध्याय तथा महाप्रबंधक भ्राता मुकुल चतुर्वेदी सहित करीब 35 वरिष्ठ अधिकारियों एवम प्रबंधकों ने लाभ लिया।भोपाल से पधारे वरिष्ठ राजयोगी एवम ज्ञानवीना पत्रिका के संपादक ब्रह्माकुमार श्रीप्रकाश भाई जी अपने प्रभावी उद्बोधन में कहा कि बदलते परिवेश में चुनौतियों को स्वीकार कर स्वयं में तथा अपनी कार्य पद्धति में बदलाव लाकर ही हम अपने अस्तित्व को बचा सकते हैं। आगे उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता की…

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ग्वालियर: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी संस्थान द्वारा “सुप्रशासन हेतु आध्यात्मिकता” पर एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन सूर्या रोशनी कंपनी प्राइवेट लिमिटेड ,मालनपुर ग्वालियर के सभागार में आयोजित किया गया।इस कार्यक्रम से कंपनी के यूनिट हेड भ्राता तपन बंधोपाध्याय तथा महाप्रबंधक भ्राता मुकुल चतुर्वेदी सहित करीब 35 वरिष्ठ अधिकारियों एवम प्रबंधकों ने लाभ लिया।भोपाल से पधारे वरिष्ठ राजयोगी एवम ज्ञानवीना पत्रिका के संपादक ब्रह्माकुमार श्रीप्रकाश भाई जी अपने प्रभावी उद्बोधन में कहा कि बदलते परिवेश में चुनौतियों को स्वीकार कर स्वयं में तथा अपनी कार्य पद्धति में बदलाव लाकर ही हम अपने अस्तित्व को बचा सकते हैं।
आगे उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता की साधना राजनेता , प्रशासक, न्यायाधीश हर व्यक्ति के लिए आवश्यक है चाहे वह किसी भी पद पर आसीन क्यों न हो । इसका मूल कारण यही है कि वास्तविक कार्यकर्ता हमारा शरीर नहीं अपितु आत्मा (spirit) है । जिस हम अंतर्चेतना या प्राण भी कहते हैं। अतः यदि हम कार्य की गुणवत्ता बढ़ाना है, दूसरों को सेवा से संतुष्ट करना है, अंतर्संबंधों को मधुर बनाना है और अपने लक्ष्य में सफलता प्राप्त करनी है, तो स्वयं को शरीर नहीं अपितु आत्मा मानकर कर्म और व्यवहार करना होगा । आज हम बाह्य व्यक्तिव को तो तराशने की कोशिश करते हैं, परंतु वास्तविक मैं अर्थात अपनी आत्मा को शांत, सशक्त, शीतल, पवित्र और गुणवान बनाने पर हमारा ध्यान नहीं जाता । इसीलिए मन में नकारात्मकता, विषय विकार तथा व्यर्थ की बातें एकत्र होती रहती हैं जो हमारे मन और बुद्धि को सशक्त और एकाग्र नहीं होने देती । असफलताओं का मूल कारण भी यही है।उन्होंने प्रशासकों, प्रबंधकों को राजयोग का अभ्यास करने हेतु प्रोत्साहित किया । आपने बताया राजयोग से न सिर्फ हमारा मन शांत और शीतल बनता है,अपितु हमारे अंदर दूसरों के प्रति प्रेम, शांति, दया, करुणा, सहयोग और सम्मान की भावना भी जाग्रत होती है । फलस्वरूप हमारा व्यवहार छोटे, बड़े सब के प्रति आत्मीय और दृष्टि कल्याणकारी बन जाती है । इस प्रकार राजयोग और आध्यात्मिकता द्वारा प्रशासक सहनशील, धैर्यवत, निष्पक्ष और साक्षी भाव रखते हुए सही एवम सटीक निर्णय ले सकते हैं । सही निर्णय स्वयं को तथा दूसरों को भी खुश और संतुष्ट रखता है । अंत में उन्होंने कहा कि किसी भी संगठन या उद्योग की सफलता सभी के सामूहिक प्रयास, सहयोग, अपनापन, दृढ़ता, कठिन परिश्रम, परस्पर सच्चाई सफाई और ईमानदारी से अपने दायित्व का निर्वहन करने पर निर्भर करती है।ऐसा तभी होगा जब हम जीवन में आध्यात्मिकता को अपनाएंगे।
हॉट लाइन कंपनी के पूर्व उपाध्यक्ष भ्राता प्रसाद जी ने अपने संक्षिप्त अनुभव द्वारा सूर्या कंपनी के प्रबंधकों को प्रेरित किया। कंपनी के यूनिट हेड भ्राता तपन बंधोपाध्याय ने राजयोगी ब्रह्माकुमार श्रीप्रकाश भाई जी एवम ब्रह्माकुमारी संस्थान का हृदय से धन्यवाद किया और पुनः उन्हे प्रशिक्षण का लाभ देने का अग्रज किया।

ग्वालियर: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी संस्थान द्वारा "सुप्रशासन हेतु आध्यात्मिकता" पर एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन सूर्या रोशनी कंपनी प्राइवेट लिमिटेड ,मालनपुर ग्वालियर के सभागार में आयोजित किया गया।इस कार्यक्रम से कंपनी के यूनिट हेड भ्राता तपन बंधोपाध्याय तथा महाप्रबंधक भ्राता मुकुल चतुर्वेदी सहित करीब 35 वरिष्ठ अधिकारियों एवम प्रबंधकों ने लाभ लिया।भोपाल से पधारे वरिष्ठ राजयोगी एवम ज्ञानवीना पत्रिका के संपादक ब्रह्माकुमार श्रीप्रकाश भाई जी अपने प्रभावी उद्बोधन में कहा कि बदलते परिवेश में चुनौतियों को स्वीकार कर स्वयं में तथा अपनी कार्य पद्धति में बदलाव लाकर ही हम अपने अस्तित्व को बचा सकते हैं। आगे उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता की…

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