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मध्य प्रदेश के अखिल भारतीय वन सेवा (आईएफएस) अधिकारी शशि मलिक ने अपना ट्रांसफर केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) से रुकवा लिया है। 14 फरवरी को उनका ट्रांसफर आदेश हुआ था और 48 घंटे के अंदर कैट ने उस पर रोक लगा दी। मध्य प्रदेश के इतिहास में पहली बार किसी आईएफएस अधिकारी ने अपना ट्रांसफर रोकने के लिए कैट से स्टे लिया है। 28 साल की नौकरी में शशि मलिक को अब तक 26 पोस्टिंग मिल चुकी है।
मामला ग्वालियर सर्किल के अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (एपीसीसीएफ) शशि मलिक का है। 1993 बैच के सीनियर आईएफएस अफसर मलिक का कहना है कि उन्हें मौजूदा पद पर एक साल भी नहीं हुआ है। 22 फरवरी को एक साल होता, उससे पहले ही तबादला कर दिया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मलिक ने कहा कि जंगल महकमे में किसी भी काम को समझने में 6-8 महीने लग जाते हैं। उससे पहले ही ट्रांसफर हो गया तो काम कैसे होगा। डीएफओ रहते हुए भी ट्रांसफर हुए थे। बच्चों का एक सेशन भी एक स्कूल में पूरा नहीं हुआ है। ऐसे तो जिंदगीभर सामान ही ढोते रह जाएंगे। इस पर रोक जरूरी थी।
राज्य सरकार ने शशि मलिक का 14 फरवरी को ट्रांसफर किया था। इसे उन्होंने कैट में चुनौती दी थी। कैट ने इस मामले में 28 जनवरी 2014 के सर्विस रूल में संशोधन का उल्लंघन माना है। सर्विस बोर्ड की अनुशंसा नहीं की गई थी। इस वजह से अंतरिम राहत देते हुए ट्रांसफर पर स्टे दिया गया है। मामले की अगली सुनवाई 9 मई को होगी। शशि मलिक ने 16 मई 1994 को बतौर आईएफएस नौकरी शुरू की थी। उत्तर प्रदेश के मूल निवासी मलिक की मध्य प्रदेश में पहली तैनाती खंडवा में एसडीओ के तौर पर 1997 में हुई थी। इसे मिलाकर अब तक उन्हें 26 बार पोस्टिंग मिली है। कहीं एक साल तो कहीं दो साल। कुछ पोस्टिंग तो एक साल से भी कम समय के लिए रही है।