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(Dheeraj Bansal)
कोरोना के नये वैरीएंट ओमिक्रान के आने के बाद से देश में जहां पाबंदियां लगना शुरू हो गई है, वहीं अस्पतालों को भी केन्द्र सरकार ने तैयार रहने के निर्देश दिये है। मध्यप्रदेश में भी नाईट कफर्यू लगाया है। कोरोना केसेस भी रोज बढ़ रहे है। ओमीक्रान ने भी मध्यप्रदेश में दस्तक दे दी है। रविवार को 8 मरीज ओमीक्रान संक्रमित मिलने के बाद दहशत का माहौल है। सरकार भी सतर्क और अलर्ट रहने के लिए आगाह कर रही है।
कोरोना और उसके नये वैरीएंट को लेकर तरह तरह की एडवाइजरी केन्द्र और प्रदेश सरकार द्वारा जारी की जा रही है। अभी हाल ही में मध्यप्रदेश में नाईट कफर्यू लगाया गया है। वहीं मास्क को अनिवार्य किया गया है। अस्पतालों में पर्याप्त बिस्तर, इंजेक्शन, आक्सीजन आदि की व्यवस्था दुरूस्त करने के निर्देश दिये गये है। केन्द्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय समय समय पर अस्पतालों को अलर्ट कर रहा है। परंतु मजे की बात यह है कि ग्वालियर चंबल अंचल के सबसे बडे अस्पताल जयारोग्य के कर्ताधर्ताओं के कान पर अब तक यह बात पहुंच नहीं रही है या सुनकर अनसुना किया जा रहा है। जयारोग्य में कोरोना की संभावित तीसरी लहर को लेकर कोई तैयारी दिखाई नहीं पड़ रही है। यहां हालात जस के तस बने हुये है। पिछली दफा जयारोग्य में जिस तरह मौत का खेल खेला गया। इसकी गूंज पूरे देश में सुनाई दी। आक्सीजन और इंजेक्शन की कमी के चलते यहां लोग बेमौत मारे गये। कहा तो यहां तक गया कि जेएएच प्रबंधन ने मासूम लोगों को मार डाला था। इस मौत के घिनौने खेल में भाजपा ने वरिष्ठ नेता भी नहीं छोड़ा गया, उनके भी प्राण जेएएच ने ले लिये। इसके बाद ही अस्पताल प्रबंधन की काला कारनामा पूरे देश के सामने आया कि किस तरह जेएएच मौत का अडडा बन गया है और यहां के डाक्टर, अधीक्षक कौन सा घिनौना खेल खेल रहे है।
आज की बात करें तो जेएएच में वही व्यवस्था चल रही है। प्रभारी मंत्री से लेकर स्वास्थ्य मंत्री, केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया तक अस्पताल की व्यवस्थाओं का जायजा ले चुके है और बार-बार व्यवस्थाओं को दुरूस्त और बेड की पर्याप्त की संख्या पर जोर दे रहे है। लेकिन अस्पताल प्रबंधन कुछ करने को तैयार नहीं है। बस प्रेस के सामने आकर व्यवस्थाओं के ठीक होने की बात कहकर खानापूर्ति कर जाता है। अस्पताल पर सरकार की तरफ से पैसों की बरसात की जा रही है। वहीं जेएएच का बजट भी अच्छा खासा है, डाक्टरों को भारी भरकम सैलरी बांटी जा रही है, लेकिन स्वास्थ्य व्यवस्था के नाम पर सब शून्य ही नजर आ रहा है। नये 1000 बिस्तर के अस्पताल का काम भी ढुलमुल चल रहा है। अब तक बेडों की संख्या नहीं बढ़ाई गई है। जबकि मंत्री कई दफा बेडों को फुल करने के निर्देश दे चुके है। डर इस बात का है कि जिस तरह कोरोना रफ्तार पकड़ रहा है अगर ग्वालियर में अचानक कोरोना विस्फोट हो गया तो जेएएच कहां तक सम्हाल पाएगा। जेएएच की व्यवस्था तो मरणासन्न में है और जेएएच अधीक्षक व अन्य अधिकारी मौज में…….