Review Overview
(राकेश अचल)
बड़े बाप के बड़े बेटों के बारे में लिखने में मेरी दिलचस्पी बहुत कम है.इनके बारे में आप लिखिए या न लिखिए कोई फर्क नहीं पड़ता .क्योंकि इनकी दुनिया आम बाप-बेटों की दुनिया से अलग होती है.बावजूद मुझे फिल्म अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान से हमददर्दी है और मै चाहता हूँ की उस सुधरने का मौक़ा मिलना चाहिए .उसे जमानत मिलना चाहिए ,जमानत हर विचारधीन कैदी का वैधानिक अधिकार है.
आर्यन को लेकर मेरी सहानुभूति की वजह भी है. मै जानता हूँ की तीन हजार किलोग्राम हेरोइन लाने वाले किसी बड़े आदमी की न तो आसानी से गिरफ्तारी मुमकिन है और न सजा .उसे सुधरने का मौक़ा देने का भी कोई फायदा नहीं है ,क्योंकि इतना बड़ा नशा व्यापारी आसानी से सुधर भी नहीं सकता,किन्तु आर्यन में सुधार की गुंजाइश है .आर्यन ठीक उसी तरह एक भटकी हुई युवा पीढ़ी का प्रतिनिधि है जैसे अडानी एक बेकाबू व्यापारिक पीढ़ी के प्रतिनिधि है .
मुमकिन है की आप आर्यन और अडानी की तुलना से नाराज हों ,लेकिन मुझे लगता है की ये तुलना तर्क संगत है. आर्यन एक बड़े बाप का बेटा जरूर है लेकिन इतने बड़े बाप का बेटा भी नहीं है जो इस देश की सरकार को अपनी मुठ्ठी में कर सके .किन्तु अडानी इतने बड़े व्यापारी जरूर हैं की देश की सरकार को अपने इशारों पर नचाने में सक्षम और समर्थ भी हैं. उन्होंने अपनी सामर्थ्य का मुजाहिरा करके देश को दिखा दिया है. जो एनसीबी आर्यन को जरा सी मुखबिरी पर गिरफ्तार कर सकती है वो ही एनसीबी तमाम सबूतों के भी अडानी या उसके किसी कारिंदे पर हाथ नहीं दाल सकती .क्योंकि एनसीबी के हाथ अडानी के हाथों से ज्यादा लम्बे नहीं हैं .
बहरहाल बात आर्यन खान की करते हैं. आर्यन उस दुनिया में रहता है ,जहां नशा बहुत आम और आसान चीज है .मुंबई में एक आर्यन नहीं है.हजाओं आर्यन हैं.छोटे-बड़े आर्यन .आर्यन से पहले एक आर्यन का नाम संजय दत्त हुआ करता था.संजय भी आर्यन की तरह एक बड़े बाप का बेटा था .संजय को तो नशे के साथ आतंकवाद होने का आरोप भी झेलना पड़ा. लम्बी कानूनी लड़ाई लड़ना पड़ी और सजाएं तक काटना पड़ीं. लेकिन संजय सुधर गया और इतना सुधर गया की एक ास्रश के रूप में सामने है .उसके प्रशंसकों की कोई कमी नहीं है .
किस्मत के मामले में आर्यन संजय दत्त के मुकाबले बहुत ज्यादा खुशनसीब है..एक तो उसे समय से पहले पकड़ लिया गया,दुसरे उसके ऊपर आतंकवादी होने का कोई आरोप नहीं है. आर्यन के सितारे अच्छे हैं अन्यथा एक अल्पसंख्यक पिता की औलाद होने की वजह से उसके ऊपर आतंकवादी होने का आरोप चस्पा करने में कितनी देर लगती ? आर्यन सत्रह दिन जेल की हवा खाने के साथ ही समझ गया है की बाहर की और भीतर की दुनिया में कितना फर्क है. उसने अपनी जमानत मिलने से पहले ही सुधार की गगरौनी गाना शुरू कर दी है. आर्यन ने एनसीबी के क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा काउंसलिंग के दौरान आश्वस्त किया है कि रिहाई के बाद वह गरीबों और दबे कुचले लोगों के वित्तीय उत्थान के लिए काम करेंगे और कभी ऐसा काम नहीं करेगा, जिससे उसका नाम खराब हो.
एनसीबी द्वारा गिरफ्तार आर्यन सहित सात अन्य आरोपियों का परामर्श सत्र चल रहा है. आरोपियों में दो महिला भी शामिल हैं. जेल में आर्यन खान का नंबर N956 है. दरअसल जेल में किसी को भी नाम से नहीं बल्कि उसके नंबर से ही बुलाया जाता है, शायद आर्यन को समझ आ गया है की नाम कमाने और नाम गम होने में कितना फर्क है ? इस लिहाज से जेल एक पाठशाला से कम नहीं है.यहां आकर जिसे सीखना होता है वो सीख लेता है और जिसे नहीं सीखना होता वो कभी कुछ नहीं सीखता .अच्छी बात ये है कि आर्यन को सब कुछ बहुत जल्द समझ आ गया .
नशा एक आर्यन का दुश्मन नहीं है .नशा पूरे देश और दुनिया का दुश्मन है. नशा पंजाब को पहले ही उड़ता पंजाब बना चुका है.देश की राजधानी समेत अनेक सूबे नशे की चपेट में हैं. छग में नशे के तस्करों की हिमाकत आप देख ही चुके हैं.उन लोगों ने छत्तीसगढ़ में नवदुर्गा विसर्जन जुलूस के ऊपर किस बेरहमी से जीप चढ़ा दी थी .नशे की गिरफ्त में आये आर्यनों को सजा देने के साथ ही सुधारने के लिए अभियान चलाने की जरूरत है .अगर आप के घर में कोई आर्यन है तो उसे नशे की गिरफ्त में आने से बचाइए ,जिम्मेदार पिता बनिये,अभिभावक बनिये .
आपको याद होगा कि नशा देश की तमाम प्रतिभाओं को लील चुका है. नशे ने हमारे न जाने कितने गुरुदत्त और न जाने कितनी मीना कुमारियों को हमसे छीन लिया .सुशांत सिंह की मौत को देश भूला नहीं है .नशे की सियासत के बारे में अलग से बात की जा सकती है .मौक़ा आने दीजिये .नशे का महाजाल कहाँ-कहाँ तक फैला है ये बताना आसान काम नहीं है. नशा देश के हर कोने में ठीक उतनी ही आसानी से उपलब्ध है जितनी आसानी से कि एक कोक या पेप्सी .