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सपाक्स ने किया सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान

भोपाल। प्रमोशन में आरक्षण के संदर्भ में हाईकोर्ट के फैसले की रक्षा के लिए गठित हुआ सामान्य, पिछड़ावर्ग एवं अल्पसंख्यक कर्मचारियों का संगठन (सपाक्स) इतनी तेजी से बढ़ा कि अब उसके अलावा इसी नाम से एक और संगठन सामान्य, पिछड़ावर्ग अल्पसंख्यक कल्याण समाज (सपाक्स) बन गया। अब तक इस संगठन के लोग 2 विचारों में विभक्त थे। एक वर्ग चाहता था कि राजनीतिक दल बनाकर चुनाव लड़ा जाए और दूसरा चाहता था कि इसे कर्मचारी और सामाजिक ही रहने दिया जाए परंतु भारत बंद की अपील का मध्यप्रदेश में जो असर हुआ, उसके बाद सपाक्स ने ऐलान कर दिया है…

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भोपाल। प्रमोशन में आरक्षण के संदर्भ में हाईकोर्ट के फैसले की रक्षा के लिए गठित हुआ सामान्य, पिछड़ावर्ग एवं अल्पसंख्यक कर्मचारियों का संगठन (सपाक्स) इतनी तेजी से बढ़ा कि अब उसके अलावा इसी नाम से एक और संगठन सामान्य, पिछड़ावर्ग अल्पसंख्यक कल्याण समाज (सपाक्स) बन गया। अब तक इस संगठन के लोग 2 विचारों में विभक्त थे। एक वर्ग चाहता था कि राजनीतिक दल बनाकर चुनाव लड़ा जाए और दूसरा चाहता था कि इसे कर्मचारी और सामाजिक ही रहने दिया जाए परंतु भारत बंद की अपील का मध्यप्रदेश में जो असर हुआ, उसके बाद सपाक्स ने ऐलान कर दिया है कि वो सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे।
सपाक्स के प्रवक्ता विजय वाते कहते हैं, हमने चुनाव आयोग में अर्जी देकर राजनीतिक दल के रूप में मान्यता मांगी है। मान्यता और चुनाव चिह्न मिलने के बाद सपाक्स प्रदेश की सभी 230 विधानसभा और 29 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगा, हम अपने दम पर लड़ेंगे और जीतेंगे। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक रहे विजय वाते कहते हैं, ‘अब और कोई विकल्प ही नहीं बचा है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही वोट के लिए समाज के एक बड़े वर्ग को लगातार दबाते आ रहे हैं, अब और दवाब नहीं झेलेंगे। गुरुवार के भारत बंद ने सपाक्स को देशव्यापी पहचान दी है। इसी पहचान के साथ हम जनता से समर्थन मांगेंगे।
वाते का कहना है कि हमारे लिए बीजेपी और कांग्रेस ‘सांपनाथ’ और ‘नागनाथ’ की तरह हैं। आखिर हम यह भेदभाव कब तक बर्दाश्त करें।’ सपाक्स के इस फैसले ने कांग्रेस और बीजेपी दोनों की ही नींद उड़ा दी है। यही वजह है कि चाहे शिवराज हों या दिग्विजय सभी इस मुद्दे पर बात करने से बच रहे हैं। उधर सपाक्स का दावा है कि वह प्रदेश की जनता को तीसरा राजनैतिक विकल्प देगा।

भोपाल। प्रमोशन में आरक्षण के संदर्भ में हाईकोर्ट के फैसले की रक्षा के लिए गठित हुआ सामान्य, पिछड़ावर्ग एवं अल्पसंख्यक कर्मचारियों का संगठन (सपाक्स) इतनी तेजी से बढ़ा कि अब उसके अलावा इसी नाम से एक और संगठन सामान्य, पिछड़ावर्ग अल्पसंख्यक कल्याण समाज (सपाक्स) बन गया। अब तक इस संगठन के लोग 2 विचारों में विभक्त थे। एक वर्ग चाहता था कि राजनीतिक दल बनाकर चुनाव लड़ा जाए और दूसरा चाहता था कि इसे कर्मचारी और सामाजिक ही रहने दिया जाए परंतु भारत बंद की अपील का मध्यप्रदेश में जो असर हुआ, उसके बाद सपाक्स ने ऐलान कर दिया है…

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