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ग्वालियर। नई सब्जी मंडी में सब्जी व्यापारियों के विस्थापन को लेकर बुधवार सुबह हंगामा खड़ा हो गया। सब्जी विक्रेताओं ने पुरानी मंडी में हंगामा कर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। धरना दे रहे व्यापारियों के समर्थन में पूर्व सांसद अनूप मिश्रा भी धरना स्थल पर पहुंच गए। उन्होंने व्यापारियों की मांगों को जायज ठहराते हुए प्रशासन को जवाब देने के लिए कहा है। सब्जी व्यापारियों ने कुछ दिन पहले बैठक में एसडीएम अनिल बरवारिया पर मारपीट का भी आरोप लगाया है। हंगामा और पूर्व सांसद के धरना स्थल पर बैठे होने का पता चलते ही जिला प्रशासन के अफसर मामले को सुलझाने में लगे हैं।
दरअसल नवीन मंडी में विस्थापन को लेकर उपजे विवाद के चलते व्यापारियों ने 20 फरवरी को भी हड़ताल की घोषणा की थी। सब्जी मंडी व्यापारी उत्थान एसोसिएशन के अध्यक्ष आशू पाठक ने आरोप लगाया था कि प्रशासन व मंडी प्रबंधन अपने तथाकथित व्यापारियों को लाभ पहुंचाने के लिए मूल व्यापारियों का व्यापार उजाड़ना चाहते हैं। व्यापारियों और जिला प्रशासन के बीच बढ़ते तनाव को खत्म करने के लिए उस समय सांसद विवेक शेजवलकर बीच में आए थे। उन्होंने आश्वासन दिया था कि वह व्यापारियों और प्रशासन के बीच बैठक कर बात रखेंगे। जिसके बाद हड़ताल स्थगित कर दी गई थी, लेकिन बैठक बेनतीजा निकली। लगातार सुनवाई नहीं होने पर और जिला प्रशासन द्वारा नई सब्जी मंडी में विस्थापन के लिए जोर डालने से सब्जी व्यापारी नाराज हैं। बुधवार सुबह व्यापारियों ने मंडी गेट पर तंबू लगाकर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। उनके समर्थन में प्रदेश सरकार में पूर्व मंत्री व पूर्व सांसद अनूप मिश्रा भी पहुंच गए। व्यापारियों को पूर्व सांसद का समर्थन मिलने और इस मामले में अब उनके आ जाने से विस्थापन की राह आसान नजर नहीं आ रही है।
धरना प्रदर्शन पर पूर्व सांसद अनूप मिश्रा का कहना है कि व्यापारियों की मांग जायज है। उनकी बात सुने बिना आप कैसे विस्थापन कर सकते हैं। नई मंडी में किस आधार पर दुकानों का आवंटन हुआ है उसे साफ किया जाना चाहिए। विस्तार पर जोर देना चाहिए न ही विस्थापन पर। यहां बता दें कि पुरानी सब्जी मंडी लक्ष्मीगंज के पीछे 40 बीघा में शासन ने नई सब्जी मंडी तैयार की है, जहां पर व्यापारियों को दुकानें आवंटित की गईं। अब वहां पर व्यापारियों को विस्थापन किया जाना है, मगर पुरानी सब्जी मंडी में बैठे व्यापारियों का कहना है कि जो दुकानें आवंटित हुई हैं वह असल में मूल दुकानदारों को मिलीं ही नहीं। प्रशासन व मंडी प्रबंधन ने अपने रिश्तेदारों के नाम से आवंटित करा लीं। दूसरी बात जब मंडी बनाई जा रही थी तब विस्थापन की जगह मंडी विस्तार की बात उन्हें क्यों नहीं बताई गई। दूसरा नवीन मंडी के लिए अलग से रास्ता देने की बात कही गई थी, जो नहीं दिया जा रहा है। इससे आने वाले समय में फिर से यही परेशानी खड़ी होगी।