जेल में वसूली का रैकेटः कर्मचारियों के घरों में इस्तेमाल हो रहा अनाज, मुख्य प्रहरी की भूमिका
ग्वालियर। केन्द्रीय जेल ग्वलियर उत्तरी मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी जेल है। यहां तीन हजार से ज्यादा बंदी और हवालाती होने के बाद भी वर्तमान में केवल 20 प्रतिशत अधिकारी ही पदस्थ है। बड़े दुर्भाग्य की बात है कि प्रथम श्रेणी जेल अधीक्षक की जगह वर्षों से द्वितीय श्रेणी अधिकारी जेल अधीक्षक के पद पर पदस्थ है। जेल की व्यवस्था योग्य अधिकारी के ना होने के कारण द्वितीय श्रेणी के पदों पर तृतीय श्रेणी कर्मचारियों के हवाले है। इन प्रभारी कर्मचारियों ने बड़े पैमाने पर जेल में लूटो खाओ की नीति अपना रखी है। जेल में बंद कैदियों के हिस्से का…
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ग्वालियर। केन्द्रीय जेल ग्वलियर उत्तरी मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी जेल है। यहां तीन हजार से ज्यादा बंदी और हवालाती होने के बाद भी वर्तमान में केवल 20 प्रतिशत अधिकारी ही पदस्थ है। बड़े दुर्भाग्य की बात है कि प्रथम श्रेणी जेल अधीक्षक की जगह वर्षों से द्वितीय श्रेणी अधिकारी जेल अधीक्षक के पद पर पदस्थ है। जेल की व्यवस्था योग्य अधिकारी के ना होने के कारण द्वितीय श्रेणी के पदों पर तृतीय श्रेणी कर्मचारियों के हवाले है।
इन प्रभारी कर्मचारियों ने बड़े पैमाने पर जेल में लूटो खाओ की नीति अपना रखी है। जेल में बंद कैदियों के हिस्से का अनाज व अन्य महंगी चीजें स्टोर से गायब कर कर्मचारियों के घरों में इस्तेमाल हो रही है। जेल में तैनात वर्तमान प्रहरी और जेलरों को सुविधा शुल्क की रकम गिनने से ही फुर्सत नहीं है। सूत्रों के मुताबिक कैदियों की भोजन व्यवस्था संभाल रहे प्रभारी प्रतिदिन हजारों रूपये का कम राशन भोजन बनाने के लिए देते हैं। भोजन व्यवस्था की सबसे बुरी हालत तो कोरोनाकाल में रही। कुछ बंदियों की किस्मत अच्छी थी कि जो उन्हें सरकार की नीति के तहत पैरोल पर बाहर भेजा गया अन्यथा उन्हें भी जेल में कम और कमचलाउ खाना खाकर भूखा प्यासा रहना पड़ता।
जेल में वसूली का रैकेटः कर्मचारियों के घरों में इस्तेमाल हो रहा अनाज, मुख्य प्रहरी की भूमिका
ग्वालियर। केन्द्रीय जेल ग्वलियर उत्तरी मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी जेल है। यहां तीन हजार से ज्यादा बंदी और हवालाती होने के बाद भी वर्तमान में केवल 20 प्रतिशत अधिकारी ही पदस्थ है। बड़े दुर्भाग्य की बात है कि प्रथम श्रेणी जेल अधीक्षक की जगह वर्षों से द्वितीय श्रेणी अधिकारी जेल अधीक्षक के पद पर पदस्थ है। जेल की व्यवस्था योग्य अधिकारी के ना होने के कारण द्वितीय श्रेणी के पदों पर तृतीय श्रेणी कर्मचारियों के हवाले है। इन प्रभारी कर्मचारियों ने बड़े पैमाने पर जेल में लूटो खाओ की नीति अपना रखी है। जेल में बंद कैदियों के हिस्से का…
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