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संतों ने किया पूर्व सांसद अनूप मिश्रा का सम्मान

सिद्धपीठ श्री गंगादास जी की बड़ी शाला में श्रद्धा भक्ति से मनाई गई स्वामी रामानंदाचार्य जी की जयंती ग्वालियर। युगांतकारी व समन्वयवादी संत जगद्गुरु स्वामी रामानंदाचार्य की जयंती आज यहाँ लक्ष्मीबाई कॉलोनी स्थित सिद्धपीठ श्री गंगादास जी की बड़ी शाला में श्रद्धा एवं भक्ति से मनाई गई। इस अवसर पर संत समाज के सहयोग एवं उनके कल्याण के लिए किये जाने वाले सेवा कार्यों में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए पूर्व सांसद एवं पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा जी का संत समाज की ओर से सम्मान किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता शाला के महंत पूरण वैराठी पीठाधीश्वर स्वामी रामसेवक दास ने…

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सिद्धपीठ श्री गंगादास जी की बड़ी शाला में श्रद्धा भक्ति से मनाई गई स्वामी रामानंदाचार्य जी की जयंती

ग्वालियर। युगांतकारी व समन्वयवादी संत जगद्गुरु स्वामी रामानंदाचार्य की जयंती आज यहाँ लक्ष्मीबाई कॉलोनी स्थित सिद्धपीठ श्री गंगादास जी की बड़ी शाला में श्रद्धा एवं भक्ति से मनाई गई। इस अवसर पर संत समाज के सहयोग एवं उनके कल्याण के लिए किये जाने वाले सेवा कार्यों में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए पूर्व सांसद एवं पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा जी का संत समाज की ओर से सम्मान किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता शाला के महंत पूरण वैराठी पीठाधीश्वर स्वामी रामसेवक दास ने की।
प्रारंभ में शाला के महंत स्वामी रामसेवक दास जी महाराज के सानिध्य में संतों एवं श्रद्धालुओं ने जगद्गुरु स्वामी रामानंदाचार्य जी के चित्र पर माल्यार्पण किया। तत्पश्चात आचार्य मोहित शास्त्री द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ आरती पूजन की विधि सम्पन्न कराई गई।

कार्यक्रम में संत समाज के सहयोग व सेवा के कार्यों में अग्रणी भूमिका के लिए संत समाज ने पूर्व सांसद एवं पूर्व मंत्री श्री अनूप मिश्रा का शॉल ,श्रीफल से सम्मान किया,और आशीर्वाद दिया कि वे सामाजिक कार्यों में ऐसे ही अग्रसर होते रहें। उल्लेखनीय है कि श्री अनूप मिश्राजी ने पिछले दिनों शहर के धार्मिक मठ मंदिरों और आश्रमों पर कब्जा करने के भूमाफिया के प्रयासों की पुरजोर तरीके से मुखलिफ़त की थी, जिसके चलते भूमाफिया को अपने कदम पीछे खींचने पड़े थे।

बताना मुनासिब होगा कि जगद्गुरु रामानंदाचार्य जी की जयंती सम्पूर्ण भारत में परंपरागत श्रद्धा भक्ति से मनाई जाती है। ग्वालियर में सिद्धपीठ श्री गंगादास जी की बड़ी शाला रामानंद सम्प्रदाय के 52 द्वारों में से एक प्रमुख रामद्वारा है।
इस अवसर पर बोलते हुए स्वामी रामसेवकदास जी महाराज ने कहा कि रामानंदाचार्य भक्ति आंदोलन के न केवल प्रणेता थे बल्कि परम तपस्वी युगान्तकारी दार्शनिक एवं समन्वयकारी संत थे। संत कबीर रैदास जैसे तमाम संत उनकी शिष्य परंपरा में आते हैं। उनका जन्म 14वीं शताब्दी में माघ कृष्ण सप्तमी को प्रयागराज के धर्मनिष्ठ ब्राह्मण परिवार में हुआ था। प्रारंभ में उनका नाम रामदत्त था। वह बाल्यावस्था से ही अत्यंत विलक्षण प्रतिभा संपन्न थे। उन्हें 5 वर्ष की आयु में ही ‘वाल्मीकि रामायण एवं ‘श्रीमद्भगवदगीता’ आदि ग्रंथ कंठस्थ हो गए थे। वे आजीवन समाज कल्याण में लगे रहे।स्वामी रामानंदाचार्य महाराज ने अपने स्वप्रवर्तित रामानंद संप्रदाय में रामभक्ति के भवन का द्वार प्रत्येक जाति के व्यक्ति के लिए खोल दिया जबकि उस समय अन्य संप्रदायों में केवल ब्राह्मण क्षत्रिय और वैश्य को ही भगवद्भक्ति का अधिकार प्राप्त था।

कार्यक्रम में शहर के जानेमाने समाजसेवी महेश मुदगल ,किशन मुदगल महेंद्र सेंगर नरेश शर्मा कुलदीप चतुर्वेदी, महंत विष्णुदासजी रोकड़िया बाबा,संत हरिदास जी,रामशरण दास जी, महंत रामविलासदास जी, बाबा हरियानंदजी, रामदास जी, भगवतदासजी, भरतदास जी, शिवरामदास जी, ऊधमसिंह ,मुकेश शर्मा श्रीमती ममता कटारे, देवेंद्र शर्मा सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन पंडित रामबाबू कटारे ने किया।स्वामी रामानंदाचार्य महाराज ने अपने स्वप्रवर्तित रामानंद संप्रदाय में रामभक्ति के भवन का द्वार प्रत्येक जाति के व्यक्ति के लिए खोल दिया जबकि रामानुज संप्रदाय में केवल ब्राह्मण क्षत्रिय और वैश्य को ही भगवद्भक्ति का अधिकार प्राप्त था।

सिद्धपीठ श्री गंगादास जी की बड़ी शाला में श्रद्धा भक्ति से मनाई गई स्वामी रामानंदाचार्य जी की जयंती ग्वालियर। युगांतकारी व समन्वयवादी संत जगद्गुरु स्वामी रामानंदाचार्य की जयंती आज यहाँ लक्ष्मीबाई कॉलोनी स्थित सिद्धपीठ श्री गंगादास जी की बड़ी शाला में श्रद्धा एवं भक्ति से मनाई गई। इस अवसर पर संत समाज के सहयोग एवं उनके कल्याण के लिए किये जाने वाले सेवा कार्यों में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए पूर्व सांसद एवं पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा जी का संत समाज की ओर से सम्मान किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता शाला के महंत पूरण वैराठी पीठाधीश्वर स्वामी रामसेवक दास ने…

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