क्या से क्या हो गये महाराज, उपचुनाव की संचालन समिति में मिला छटवां स्थान
चुनाव संचालन समिति वह भी उपचुनाव में कइयों के महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम छटवें स्थान पर है। कभी पूरी मध्यप्रदेश विधानसभा के चुनाव के कर्ता धर्ता हुआ करते थे, लेकिन अब ऐसी फजीहत है कि कहना पड़ेगा काहे के महाराज। मध्यप्रदेश खासकर चंबल अंचल में कांग्रेस में महाराज की तूती बोला करती थी। अमूमन सभी टिकट महाराज फाइनल करते थे। साथ ही किसे क्या पद मिलेगा उन्हीं के द्वारा सुझाये गये नाम को तबज्जों को दी जाती थी। मध्यप्रदेश में कांग्रेस के चुनाव अभियान की कमान भी उन्हीं के हाथ थी। कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी का महत्वपूर्ण…
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चुनाव संचालन समिति वह भी उपचुनाव में कइयों के महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम छटवें स्थान पर है। कभी पूरी मध्यप्रदेश विधानसभा के चुनाव के कर्ता धर्ता हुआ करते थे, लेकिन अब ऐसी फजीहत है कि कहना पड़ेगा काहे के महाराज।
मध्यप्रदेश खासकर चंबल अंचल में कांग्रेस में महाराज की तूती बोला करती थी। अमूमन सभी टिकट महाराज फाइनल करते थे। साथ ही किसे क्या पद मिलेगा उन्हीं के द्वारा सुझाये गये नाम को तबज्जों को दी जाती थी। मध्यप्रदेश में कांग्रेस के चुनाव अभियान की कमान भी उन्हीं के हाथ थी। कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी का महत्वपूर्ण जिम्मा भी वह सम्हाले थे। लेकिन भाजपा में जाते ही उनके और समर्थकों के सितारे गर्दिश में आ गये है। बार-बार विरोधी भाजपा नेताओं के जहां महाराज समर्थक पूर्व विधायकों को चक्कर लगाने पड़ रहे है।
वहीं टिकट और मंत्रीमंडल के लिए जोर आजमाईश है। इसके अलावा महाराज की अब बुरी फजीहत उपुचनाव की संचालन समिति में छटवें नंबर पर नाम आने से हो रही है। पार्टी ने समिति में उनका नाम छटवें नंबर पर रखा है, जिससे उनकी सोशल मीडिया पर खिल्ली उड़ रही है। उड़े भी क्यों न कांग्रेस में चुनाव अभियान के बोस हुआ करते थे और भाजपा में उपचुनावों में छटवें नंबर पर। इससे लगता है भाजपा नेताओं ने उपचुनाव की कमान खुद सम्हाल ली है और महाराज अब आराम मोड पर है।
क्या से क्या हो गये महाराज, उपचुनाव की संचालन समिति में मिला छटवां स्थान
चुनाव संचालन समिति वह भी उपचुनाव में कइयों के महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम छटवें स्थान पर है। कभी पूरी मध्यप्रदेश विधानसभा के चुनाव के कर्ता धर्ता हुआ करते थे, लेकिन अब ऐसी फजीहत है कि कहना पड़ेगा काहे के महाराज। मध्यप्रदेश खासकर चंबल अंचल में कांग्रेस में महाराज की तूती बोला करती थी। अमूमन सभी टिकट महाराज फाइनल करते थे। साथ ही किसे क्या पद मिलेगा उन्हीं के द्वारा सुझाये गये नाम को तबज्जों को दी जाती थी। मध्यप्रदेश में कांग्रेस के चुनाव अभियान की कमान भी उन्हीं के हाथ थी। कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी का महत्वपूर्ण…
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