अतिथि विद्वानों की पुकार कब सुनेंगे सरकार?
▪वचन पत्र का वचन क्रमांक 17,(22)भूल गई कांग्रेस मप्र के महाविद्यालयों के अतिथि विद्वान पिछ्ले 43 दिन से राजधानी के शहजहानी पार्क में धरने पर बैठे हैं। भीषण सर्दी और बीच में हुई बारिश भी इनका हौसला नहीं तोड़ सकी है। इनकी मांग है कि इन्हें नियमित किया जाये। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के वचन पत्र में भी इसका वादा किया था लेकिन अब इनकी पुकार कोई सुनने को तैयार नहीं। प्रदेशभर से आये ये प्राध्यापक एक टेंट के नीचे 44 दिन से डटे हैं।इनमें ऐसी महिलायें भी हैं जिनके नन्हे बच्चे तक साथ हैं। करीब 2700 अतिथि विद्वान नियमितीकरण…
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▪वचन पत्र का वचन क्रमांक 17,(22)भूल गई कांग्रेस
मप्र के महाविद्यालयों के अतिथि विद्वान पिछ्ले 43 दिन से राजधानी के शहजहानी पार्क में धरने पर बैठे हैं। भीषण सर्दी और बीच में हुई बारिश भी इनका हौसला नहीं तोड़ सकी है। इनकी मांग है कि इन्हें नियमित किया जाये। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के वचन पत्र में भी इसका वादा किया था लेकिन अब इनकी पुकार कोई सुनने को तैयार नहीं।
प्रदेशभर से आये ये प्राध्यापक एक टेंट के नीचे 44 दिन से डटे हैं।इनमें ऐसी महिलायें भी हैं जिनके नन्हे बच्चे तक साथ हैं। करीब 2700 अतिथि विद्वान नियमितीकरण की बाट जोह रहे हैं।कांग्रेस ने वचन पत्र में ये वादा किया था लेकिन अब कोई सुध लेने वाला नहीं। इनमें बहुत से यूजीसी, नेट, सेट, पीएचडी, एमफिल योग्यताधारी हैं। कई को तो अतिथि विद्वान के तौर पर पढ़ाते दो दशक से ज्यादा हो गये और अब इन्हें सेवा से बाहर कर दिया गया। पिछ्ले दिनों अज्ञात लोगों ने धरनास्थल के टेंट को आग लगा दी थी, जिसकी जांच चल रही है।
इन 44 दिन में सरकार के साथ सिर्फ एक बार चर्चा हुई लेकिन नतीजा सिफर। देखना है श्यामला हिल्स और वल्लभ भवन के कानों तक इन की आवाज कब पहुंचती है!
अतिथि विद्वानों की पुकार कब सुनेंगे सरकार?
▪वचन पत्र का वचन क्रमांक 17,(22)भूल गई कांग्रेस मप्र के महाविद्यालयों के अतिथि विद्वान पिछ्ले 43 दिन से राजधानी के शहजहानी पार्क में धरने पर बैठे हैं। भीषण सर्दी और बीच में हुई बारिश भी इनका हौसला नहीं तोड़ सकी है। इनकी मांग है कि इन्हें नियमित किया जाये। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के वचन पत्र में भी इसका वादा किया था लेकिन अब इनकी पुकार कोई सुनने को तैयार नहीं। प्रदेशभर से आये ये प्राध्यापक एक टेंट के नीचे 44 दिन से डटे हैं।इनमें ऐसी महिलायें भी हैं जिनके नन्हे बच्चे तक साथ हैं। करीब 2700 अतिथि विद्वान नियमितीकरण…
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