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निधि निवेदिता का थप्पड़ 

मध्यप्रदेश के राजगढ़ की कलेक्टर सुश्री निधि निवेदिता से मै नाराज हूँ,आपको भी नाराज होना चाहिए ।उन्होंने सीएए के समर्थन में रैली निकाल रहे भाजपा कार्यकर्ता को थप्पड़ जड़ दिया ,लाठी मारी सो अलग ।मै सीएए का समर्थक भले न होऊ लेकिन लाठी और थप्पड़ का भी समर्थक नहीं हूँ ।रैलियां और जुलूस निकलना सभी का अधिकार है और यदि कोई जुलूस बिना अनुमति किसी क़ानून को तोड़कर निकाला जा रहा हो तो उसके खिलाफ कार्रवाई का अधिकार पुलिस को है कलेक्टर को नहीं । हमारे मध्यप्रदेश में ही नहीं देश के अनेक राज्यों में पिछले कुछ दिनों से शहरों…

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मध्यप्रदेश के राजगढ़ की कलेक्टर सुश्री निधि निवेदिता से मै नाराज हूँ,आपको भी नाराज होना चाहिए ।उन्होंने सीएए के समर्थन में रैली निकाल रहे भाजपा कार्यकर्ता को थप्पड़ जड़ दिया ,लाठी मारी सो अलग ।मै सीएए का समर्थक भले न होऊ लेकिन लाठी और थप्पड़ का भी समर्थक नहीं हूँ ।रैलियां और जुलूस निकलना सभी का अधिकार है और यदि कोई जुलूस बिना अनुमति किसी क़ानून को तोड़कर निकाला जा रहा हो तो उसके खिलाफ कार्रवाई का अधिकार पुलिस को है कलेक्टर को नहीं ।
हमारे मध्यप्रदेश में ही नहीं देश के अनेक राज्यों में पिछले कुछ दिनों से शहरों में निषेधाज्ञाएं लागू करने का चलन हो गया है। हर शहर हर समय जाप्ता फौजदारी की धारा 144  में लिपटा रहता है ,अर्थात आपको रैली-जुलूस निकालने की अनुमति नहीं होती और यदि आप ऐसा कुछ करना ही चाहते हैं तो आपको इसके लिए सक्षम अधिकारी से अनुमति लेने की आवश्यकता होती है ।राजगढ़ में भाजपा के पास अनुमति थी या नहीं ये बाद की बात है लेकिन जब जुलूस निकल ही गया था उसे गैर कानूनी घोषित करना पुलिस का काम था।पुलिस आंदोलनकारियों के खिलाफ जाप्ता फौजदारी की धारा 188  के तहत कार्रवाई करती लेकिन थप्पड़ लगाने की व्यवस्था किसी क़ानून में है मुझे नहीं पता ।
मुमकिन है कि आंदोलनकारियों ने पुलिस और प्रशासन के साथ कोई बदस्लूकी की हो और इससे कलेक्टर महोदया अपना आपा खो बैठीं हों ,लेकिन उन्हें इससे बचना चाहिए था ।प्रदेश में मुख्यमंत्री ने सीएए के खिलाफ जुलूस-रैलियों को प्रतिबंधित नहीं किया है ।सीएए के समर्थन में भी प्रदेश में रोजाना रैलियां हो रहीं है ।इन्हें होते रहने देना चाहिए ,क्योंकि सियासत ऐसा चाहती है ताकि देश मुद्दों से भटका रहे ।इसमें बाधा डालने की किसी को क्या जरूरत है ?अव्वल तो कलेक्टर महदया को खुद मोर्चे पर नहीं होना चाहिए,रेलों -जुलूसों से निबटने की जबाबदेही पुलिस अधीक्षक की होती है और अगर वे मौके पर पहुँच ही गयीं थीं तो उन्हें सब्र से काम लेना चाहिए था ।
पिछले कुछ दिनों में ये देखने में आ रहा है कि अति-उत्साही नौकरशाही कहीं-कहीं पार्टी कार्यकर्ता की तरह व्यवहार करने लगती है ,जबकि शायद सरकारें ऐसा नहीं चाहतीं। कमलनाथ की सरकार से पहले प्रदेश में डेढ़ दशक तक सत्ता में रही भाजपा ने नौकरशाही का रंग बदल दिया था ।अब इसी नौकरशाही को अपना स्वभाव बदलने में समय लग रहा है और इसी के फलस्वरूप राजगढ़ में कलेक्टर के थप्पड़ चर्चा का विषय बन रहे हैं ।
निधि निवेदिता 2012  बैच की आईएएस अफसर हैं और इससे पहले सिंगरौली  जिले में जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी के रूप में  एक पंचायत सचिव को शौचालय निर्माण घोटाले में शामिल होने पर उठक-बैठक लगवा चुकी हैं ,हालांकि उन्हें इसका भी अधिकार नहीं था,निधि को दरअसल राजनीति से चिढ है। , एक पूर्व मंत्री ने जब एक प्रदर्शन के दौरान निधि से कांग्रेस सरकार के 90  दिन में गिरने की बात कही थी ,तब भी वे भड़क गयीं थीं ।झारखण्ड मूल की निधि एक ईमादार अफसर हैं।कलेक्टर बनने से पहले वे इंदौर में अपर कलेक्टर के रूप में भी उतनी ही कड़क थीं जितनी की राजगढ़ कलेक्टर के रूप में हैं ।
जिस राजगढ़ जिले में निधि के थप्पड़ की गूँज हो रही है उसी राजगढ़ में निधि निवेदिता ने एक जरूरतमंद महिला को खून की कमी होने पर अपना खून देने की सदाशयता भी दिखाई थी जरूरतमंद लड़की के पिता ने सोशल मीडिया पर खून देने की अपील की थी ,कलेक्टर को जब पता चला की सरकारी अस्पताल में खून नहीं है तो वे खुद आगे आईं ।मामला खजूरिया गांव का है और निधि के खून से जिस युवती की जान बची वो कविता दांगी थी।
केवल 33  साल की निधि इतिहास से स्नातक हैं और भ्र्ष्टाचार के सख्त खिलाफ हैं ।एआईएएस परीक्षा में 33  वे स्थान पर रही निधि भूमिहार हैं लेकिन कभी किसी से हार नहीं मानती फिर चाहे चुनौती कैसी भी हो ।बहरहाल निधि के व्यवहार को लेकर सरकार जाने और खुद निधि लेकिन लोकशाही में एक लोकसेवक को उतना ही गुस्सा दिखाना चाहिए जितना की उसे दिखने की छूट हो ,सीमा से परे जाना व्यवहार को सामंती रंग दे देता है ।निधि के खिलाफ ताजा घटना को लेकर कोई कार्रवाई आवश्यक नहीं है लेकिन उन्हें हिदायत तो दी  ही जाना चाहिए ।क्योंकि अभी उनके सामने लंबा सेवाकाल पड़ा है ।नाक पर गुस्सा रखकर लोकसेवा नहीं की जा सकती ।
(@ राकेश अचल)
मध्यप्रदेश के राजगढ़ की कलेक्टर सुश्री निधि निवेदिता से मै नाराज हूँ,आपको भी नाराज होना चाहिए ।उन्होंने सीएए के समर्थन में रैली निकाल रहे भाजपा कार्यकर्ता को थप्पड़ जड़ दिया ,लाठी मारी सो अलग ।मै सीएए का समर्थक भले न होऊ लेकिन लाठी और थप्पड़ का भी समर्थक नहीं हूँ ।रैलियां और जुलूस निकलना सभी का अधिकार है और यदि कोई जुलूस बिना अनुमति किसी क़ानून को तोड़कर निकाला जा रहा हो तो उसके खिलाफ कार्रवाई का अधिकार पुलिस को है कलेक्टर को नहीं । हमारे मध्यप्रदेश में ही नहीं देश के अनेक राज्यों में पिछले कुछ दिनों से शहरों…

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