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मध्यप्रदेश में एक बार फिर से पूर्व सीएम उमा भारती की सक्रियता बढ़ने लगी है। ग्वालियर में मीडिया से बात करते हुआ उमा भारती ने कहा था कि पार्टी उन्हें जो भी जिम्मेदारी सौंपेगी वो उसको निभाएंगी। इस बयान के साथ ही उन्होंने मध्यप्रदेश में अपनी वापसी की मंशा जाहिर कर दी है। जिस तरह से उमा भारती कमल नाथ सरकार के खिलाफ मोर्चा संभाल रही हैं, उसने भाजपा कार्यकर्ताओं के भीतर उमा की लोकप्रियता को बढ़ाना शुरू कर दिया है।
दरअसल, कमलनाथ सरकार के खिलाफ भाजपा के भीतर से कोई भी हमलावर तेवर अख्तियार नहीं कर रहा है। ऐसे में उमा भारती ने मैदान संभाल लिया है। वह लगातार कमलनाथ और दिग्विजय सिंह पर हमले कर रही हैं। उन्होंने अपने बयान में यह भी कहा कि वो मध्यप्रदेश से कभी अलग नहीं हुई हैं। मध्यप्रदेश में वो लगातार सक्रिय रही हैं। उमा भारती की सक्रियता से प्रदेश की राजनीति में सियासत और अटकलों का दौर शुरू हो गया है। वहीं, दूसरी तरफ ये भी कहा जा रहा है कि मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह की सक्रियता मध्यप्रदेश में कम होती जा रही है। जिस तरह से उन्होंने खुद को सोशल मीडिया तक सीमित किया है, वह शिवराज की कार्यकर्ताओं से बढ़ती दूरियां साबित कर रहा है।
आखिर क्यों सक्रिय हुईं उमा
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि उमा भारती की सक्रियता से प्रदेश की राजनीत फिर से गर्म हो गई है। शिवराज समेत भाजपा के कई बड़े नेताओं ने कमल नाथ सरकार के गिरने का दावा किया। लेकिन विधानसभा में कांग्रेस ने अपना बहुमत साबित किया और खुद भाजपा के दो विधायक बागी हो गए हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि कमल नाथ सरकार के खिलाफ हमला करने में शिवराज सिंह कमजोर साबित हो रहे हैं ऐसे में एक बार फिर से उमा भारती की सक्रियता बढ़ गई है। उमा भारती ही वो नेता हैं जिन्होंने मध्यप्रदेश में 2003 में भाजपा की वापसी कराई थी। 2003 का चुनाव भाजपा ने उमा भारती के नेतृत्व में लड़ा था और प्रदेश की दिग्विजय सिंह सरकार को सत्ता से बाहर कर भाजपा की वापसी कराई थी। कहीं न कहीं उमा भारती अपने हमलावर तेवरों के सहारे कार्यकर्ताओं के बीच अपनी छवि को मजबूत करना चाह रही हैं। जिस तरह से सत्ता से बेदखल होने के बाद भाजपा नेताओं ने कार्यकर्ताओं से दूरियां बनाई हैं, जमीनी आंदोलन ठप पड़े हैं। ऐसे में उमा कार्यकर्ताओं की भावनाओं को आवाज देने की कोशिश कर रही हैं।