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नगर निगम के संग्रहालय अधीक्षक व तत्कालीन गौशाला प्रभारी राकेश मित्तल के खिलाफ भ्रष्टाचार का केस चलेगा। अपर सत्र न्यायाधीश रामजी गुप्ता ने इस मामले में पेश की गई खात्मा रिपोर्ट (एफआर) को खारिज कर दिया है और आदेश दिए हैं कि राकेश मित्तल शासकीय सेवा में हैं और बिना अभियोजन स्वीकृति के संज्ञान नहीं लिया जा सकता, इसलिए लोकायुक्त उनके खिलाफ अभियोजन स्वीकृति लेकर चालान पेश करे।
कोर्ट ने पाया कि राकेश मित्तल लाल टिपारा गौशाला प्रभारी थे और उनके माध्यम से ही पशु आहार सप्लाई का भुगतान होता था लेकिन कमीशन न मिलने पर राकेश मित्तल ने आवेदक को ब्लैक लिस्टेड करने और सप्लाई बंद करने की धमकी दी थी। रिश्वत राशि का लिफाफा राकेश मित्तल द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर स्वतंत्र राजपत्रित अधिकारियों के समक्ष जब्त किया गया है इसलिए आरोपी राकेश मित्तल के खिलाफ भ्रष्टाचार के पर्याप्त आधार पाए गए हैं। जबकि, लोकायुक्त ने एफआर में कहा कि राकेश मित्तल के खिलाफ रिश्वत मांगने का कोई आशय नहीं और न उसने रिश्वत ली। सोडियम कार्बोनेट के घोल में राकेश के हाथ धुलवाने पर घोल का रंग गुलाबी नहीं हुआ था। जिस कारण उसके खिलाफ चालान प्रस्तुत करने का कोई आधार नहीं है और खात्मा रिपोर्ट स्वीकार की जाए। इस मामले में शासन का पक्ष विशेष लोक अभियोजक अरविंद श्रीवास्तव ने रखा।
ये है मामला: फरियादी नरेश अडवानी ने 24 जून 2015 को लोकायुक्त पुलिस में आवेदन देकर बताया था कि मैं पराग ट्रेडर्स के नाम से पशु आहार की सप्लाई का व्यापार करता हूं। लाल टिपारा गौशाला में 2015-16 में पशु आहार सप्लाई का ठेका मिला था। 7 मई 2015 से 31 मई 2015 तक पशु आहार की सप्लाई की गई। जिसके 5 लाख 84 हजार 492 रुपए के भुगतान के लिए मैनें 22 जून 2015 को दिया गया। गौशाला प्रभारी राकेश मित्तल ने धमकी दी कि यदि मैंने 3 प्रतिशत के हिसाब से 18 हजार रुपए नहीं दिए, तो मुझे ब्लैक लिस्टेड करा दिया जाएगा और सप्लाई रुकवाकर डिपोजिट राशि जब्त करा देंगे। इस शिकायत के बाद लोकायुक्त ने राकेश मित्तल को ट्रैप किया और राकेश मित्तल ने नरेश से रिश्वत राशि का लिफाफा टेबल पर रखवा लिया। इस दौरान लोकायुक्त ने दबिश देकर कार्रवाई की थी।