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क्या झूठ की नर्सरी है .. भा.ज.पा.?

ग्वालियर। भा.ज.पा. का नीति वाक्य है ‘‘झूठ बोलो, जोर से बोलो, बार बार बोलो’ इसका ही अनुसरण करते हुए विगत दिवस प्रदेश भा.ज.पा. के एक कद्दावर नेता ने प्रेसवार्ता कर म.प्र. सरकार पर कर्ज माफी न कर किसानों को धोखा देने का निराधार आरोप लगाते हुए प्रदेश में एक व्यक्ति द्वारा की गई आत्महत्या की घटना को ऋण मुक्ति नहीं होने से जोड़ दिया है। जबकि बताया गया है कि वह मृत व्यक्ति किसान नहीं था, ना ही उस व्यक्ति या उसके परिवार के किसी सदस्य के पास कोई कृषि भूमि ही है ना ही उसने या उसके परिवार के…

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ग्वालियर। भा.ज.पा. का नीति वाक्य है ‘‘झूठ बोलो, जोर से बोलो, बार बार बोलो’ इसका ही अनुसरण करते हुए विगत दिवस प्रदेश भा.ज.पा. के एक कद्दावर नेता ने प्रेसवार्ता कर म.प्र. सरकार पर कर्ज माफी न कर किसानों को धोखा देने का निराधार आरोप लगाते हुए प्रदेश में एक व्यक्ति द्वारा की गई आत्महत्या की घटना को ऋण मुक्ति नहीं होने से जोड़ दिया है। जबकि बताया गया है कि वह मृत व्यक्ति किसान नहीं था, ना ही उस व्यक्ति या उसके परिवार के किसी सदस्य के पास कोई कृषि भूमि ही है ना ही उसने या उसके परिवार के किसी सदस्य ने किसी बैंक से कोई कृषि ऋण ही लिया था। ऐसी स्थिति में राजनैतिक उद्देश्य के लिये किसी व्यक्ति की दर्दनाक मौत पर राजनीति करना औछी मानसिकता का ही द्योतक है।
वस्तु स्थिति यह है कि म.प्र. के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शपथ ग्रहण करने के एक घन्टे के अन्दर ही प्रदेश में ‘‘जय किसान ऋण माफी योजना’’ लागू कर ऋण माफी की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी थी। जिसके क्रम में बैंको से ऋणी किसानों के नाम एवं उनके ऋण राशि की सूची तलब कर उन्हें पारदर्शिता के लिये आनलाईन प्रदर्शित कराया गया। सूचीयां देखकर कुछ किसान अचंभित थे कि जब उन्होंने बैंक से ऋण लिया ही नहीं है अथवा ऋण बेबाक कर दिया था तो उनका नाम ऋणी किसानों की सूची में क्यों दर्ज है इसकी शिकायत करने पर जांच में लाखों रूपयों का फर्जी ऋण घोटाला उजागर हुआ है। ज्ञातव्य है कि भा.ज.पा. सरकार ने अपने 15 वर्ष के कुशासन में सहकारी जिला बैंक, सहकारी संस्थाओं में अपने चहेते लोगों को अध्यक्ष व संचालकों के पद पर मनोनीत या निर्वाचित कराया था और उन्हीं की छत्रछाया में ये किसान ऋण घोटाला जो भा.ज.पा. शासन काल का सबसे बड़ा घोटाला साबित होगा बेरोक टोक चल रहा था। और इसीके चलते भा.ज.पा. नेताओं द्वारा ऋण माफी योजना के खिलाफ अर्नगल प्रलाप किया जा रहा है।
म.प्र. सरकार द्वारा 9 मार्च 2019 तक 23 लाख 48 हजार पात्र किसानों के कर्ज माफ किये जाकर उन्हें ऋण मुक्ति प्रमाण पत्र भी दिये जा रहे थे किन्तु चुनाव आचार संहिता के कारण तात्कालिक रूप से कुछ समय के लिये यह कार्य स्थगित रखा गया है। आचार संहिता की समाप्ति के बाद संस्था स्तर पर कार्यक्रम आयोजित कर प्रदेश के 55 लाख किसानों का कर्जा माफ होना है। किसान माफी योजना की घोषणा के बाद आज तक किसी किसान ने मुझसे यह शिकायत नहीं की है कि बैंक या प्रशासन का कोई कर्मचारी ऋण वसूली के लिये किसान के पास गया हो और ऋण वसूली के लिये किसी प्रकार का कोई अनुचित दबाब ही डाल रहा हो। मु.मंत्री श्री कमलनाथ द्वारा 73 दिनों में 83 वायदे पूरे करना देश की उपलब्धि है।

ग्वालियर। भा.ज.पा. का नीति वाक्य है ‘‘झूठ बोलो, जोर से बोलो, बार बार बोलो’ इसका ही अनुसरण करते हुए विगत दिवस प्रदेश भा.ज.पा. के एक कद्दावर नेता ने प्रेसवार्ता कर म.प्र. सरकार पर कर्ज माफी न कर किसानों को धोखा देने का निराधार आरोप लगाते हुए प्रदेश में एक व्यक्ति द्वारा की गई आत्महत्या की घटना को ऋण मुक्ति नहीं होने से जोड़ दिया है। जबकि बताया गया है कि वह मृत व्यक्ति किसान नहीं था, ना ही उस व्यक्ति या उसके परिवार के किसी सदस्य के पास कोई कृषि भूमि ही है ना ही उसने या उसके परिवार के…

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