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जेएएच में सफाई को लेकर शासन द्वारा किए गए दावों की उस वक्त पोल खुल गई, जब अतिरिक्त महाधिवक्ता अंकुर मोदी अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे। टॉयलेट में बदबू व गंदगी के कारण लोग अंदर बेहाल थे। ट्रामा सेंटर व केआरएच (कमलाराजा हॉस्पिटल) के बच्चों के वार्ड के पास गंदगी का ढेर लगा हुआ था। शासन ने जेएएच में जो सफाई बताई थी, स्थिति उसके उलट मिली।
कामिनी सिंह ने जेएएच में फैली गंदगी को लेकर एक जनहित याचिका दायर की। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि जेएएच में नियमित सफाई नहीं होती है। इससे मरीजों में संक्रमण का खतरा बना रहता है। गंदगी के कारण मरीज व उनके परिजन बेहाल हैं। कोर्ट के नोटिस के बाद शासन ने अपना जवाब हाईकोर्ट में पेश किया था। उसने अपनी रिपोर्ट में कुछ फोटो भी लगाए थे। तर्क दिया था कि सफाई की व्यवस्था एक निजी एजेंसी को दे दी है। उसके बाद से अस्पताल पूरी तरह से साफ रहता है। याचिका में जो तर्क दिए हैं, वह गलत हैं। फोटो व रिपोर्ट में जेएएच को चमकता हुआ बताया था। शासन ने अस्पताल की जो स्थिति कोर्ट के समक्ष रखी, उसकी वास्तविकता जानने के लिए अतिरिक्त महाधिवक्ता अंकुर मोदी को आदेश दिया कि अस्पताल की सफाई व्यवस्था की स्थिति देखें और कोर्ट को अवगत कराएं। उन्होंने जेएएच की बर्न यूनिट, कार्डियोलॉजी, माधव डिसपेंसरी, ट्रामा सेंटर व केआरएच का निरीक्षण किया। जहां लोगों की भीड़ थी, वहां हालात काफी खराब मिले। ट्रामा सेंटर व केआरएच में गंदगी फैली हुई थी। टॉयलेट की भी हालत खराब थी। टॉयलेट के अंदर घुसा नहीं जा रहा था।
निरीक्षण के लिए पहुंचे तो होने लगी सफाई
-अंकुर मोदी निरीक्षण के लिए केआरएच पहुंचे थे। उनसे निरीक्षण को ध्यान में रखते हुए सफाई शुरू कर दी। जहां-जहां वे पहुंचने वाले थे, वहां पोंछा लगाया गया।
– केआरएच में मरीजों की भीड़ ज्यादा था। वहीं पर सफाई व्यवस्था बिगड़ी हुई थी। टॉयलेट सहित वार्डों में भी गंदगी मिली।
– अतिरिक्त महाधिवक्ता का कहना है कि अस्पताल में जैसी सफाई होनी चाहिए, वैसी नहीं थी।