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न प्रियदर्शनी लड़ेंगी और न अमृताराय 

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की और से जिन पूर्व राजघरानों की महिलाओं का नाम सुर्ख़ियों में है उनमें ग्वालियर के सिंधिया और राघौगढ़ के सिंह घराने की महिलाओं का नाम प्रमुख हैं. सांसद और कांग्रेस के महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी श्रीमती प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया को ग्वालियर से और कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय सचिव दिग्विजय सिंह की पत्नी अमृता को गुना से चुनाव लड़ाने की मांग कांग्रेस के ही नामालूम लोग कर रहे हैं . इतिहास जानने वाले जानते हैं की  आजादी के बाद से अब तक दिग्विजय सिंह के परिवार की किसी महिला ने सक्रिय राजनीति में हिस्सा नहीं…

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लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की और से जिन पूर्व राजघरानों की महिलाओं का नाम सुर्ख़ियों में है उनमें ग्वालियर के सिंधिया और राघौगढ़ के सिंह घराने की महिलाओं का नाम प्रमुख हैं. सांसद और कांग्रेस के महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी श्रीमती प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया को ग्वालियर से और कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय सचिव दिग्विजय सिंह की पत्नी अमृता को गुना से चुनाव लड़ाने की मांग कांग्रेस के ही नामालूम लोग कर रहे हैं .
इतिहास जानने वाले जानते हैं की  आजादी के बाद से अब तक दिग्विजय सिंह के परिवार की किसी महिला ने सक्रिय राजनीति में हिस्सा नहीं लिया .दिग्विजय सिंह की पहली पत्नी हमेशा परदे के पीछे रहीं और वर्तमान पत्नी पत्रकार होने के बावजूद राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं रखती हैं और उन्हें इसकी जरूरत भी नहीं है क्योंकि पहले से उनके पति दिग्विजय सिंह ,उनके बेटे जयवर्द्धन सिंह और देवर लक्ष्मण सिंह राजनीति में न केवल सक्रिय हैं बल्कि स्थापित भी हैं .
ग्वालियर के सिंधिया राजघराने में भी राजमाता विजयाराजे सिंधिया को छोड़ कोई अन्य महिला कभी राजनीति में सक्रिय नहीं हुई .राजमाता के सियासी उत्तराधिकारी के रूप में मध्यप्रदेश में श्रीमती यशोधरा राजे और राजस्थान में राजनीति में सक्रिय हैं लेकिन उन्हें सिंधिया घराने का उत्तराधिकारी नहीं माना जाता.
राजमाता के बाद उनके बेटे स्वर्गीय माधवराव सिंधिया के जीवनकाल में उनकी पत्नी श्रीमती माधवी राजे सिंधिया ने अपने पति के अनेक लोकसभा चुनावों के संचालन में हिस्सा लिया लेकिन कभी चुनाव लड़ने के बारे में नहीं सोचा.अपने पति के निधन के बाद वे घर बैठ गयीं ,माधवराव सिंधिया की राजनितिक विरासत उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सम्हाली .ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी भी सक्रिय रूप से अपने पति के चुनाव प्रचार अभियान का संचालन और देखरेख करतीं है लेकिन वे कभी सक्रिय राजनीति के प्रति आकर्षित नहीं दिखाई दीं .उनका ध्यान सदैव अपने बच्चों के पालन-पोषण और समाजसेवा तक ही केंद्रित रहा .
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को अधिक सीटें जिताने का तर्क  देकर कांग्रेस के ही कुछ खुराफाती   लोग राजघराने की इन महिलाओं के नाम उछालते आ रहे हैं .दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह तो इस तरह की मांगों का विरोध भी कर चुके हैं लेकिन खुद दिग्वजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस तरह की मांगों को न गंभीरता से लिया और न उन पर कोई प्रतिक्रिया जताई ..इस तरह की मांग करने वाले न सिंधिया के शुभचिंतक हैं और न  दिग्विजय सिंह के ,इस मांग के पीछे पार्टी हित  नहीं बल्कि चाटुकारिता भर है ,जिसे दोनों परिवार भली-भांति समझते हैं .
इस बात में कोई दो राय नहीं है की सिंधिया और दिग्विजय सिंह के परिवार की महिलायें यदि सक्रिय राजनीति में होतीं तो उनके लिए चुनाव जीतना कोई कठिन काम न होता .लेकिन अब जबकि सिंधिया खुद पार्टी के स्टार प्रचारक के अलावा पार्टी की और से उत्तर प्रदेश के एक बड़े हिस्से के चुनाव प्रभारी हैं तब वे अपनी पत्नी को चुनाव में क्यों उतारेंगे,?सिंधिया की व्यस्तता की वजह से वैसे भी इस बार उनका चुनाव परोक्ष रूप से उनकी पत्नी को ही लड़ना है..
लोकसभा चुनावों में सिंधिया घराने का इतिहास बताता है की जब उन्हें अपनी पारम्परिक ग्वालियर और गुना सीट में से किसी एक पर परिवार का सदस्य नहीं लड़ाना हुआ तब-तब उन्होंने अपने समर्थकों को मौक़ा दिया .महेंद्र सिंह कालूखेड़ा,रामसेवक सिंह को इसी रणनीति के तहतसंसद जाने का अवसर मिला .राजमाता के निधन  के बाद .सिंधिया परिवार ने गुना सीट को ही प्राथमिकता दी और ग्वालियर सीट पार्टी के दुसरे नेताओं के लिए छोड़ दी .सिंह घराने ने भी कभी इसमें कोई दखल नहीं किया .ये एक तरह की राजनितिक समझ है जो दशकों से दोनों परिवारों के बीच तमाम असहमतियों के बरकरार है
जहाँ तक मेरी सूचना है की इस बार भाजपा ग्वालियर से श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया को ही मैदान में उतारेगी और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मुरैना सीट से चुनाव लड़ेंगे ,उनके खिलाफ कांग्रेस रामनिवास रावत को उतार सकती है .ग्वालियर में कांग्रेस के प्रत्याशी सम्भवत:अशोक सिंह को ही प्रत्याशी बनाया जाएगा ,हालांकि अब कुछ नए लोग भी दावेदारी करते दिखाई दे रहे हैं लेकिन नयी दावेदारियां बहुत वजनदार नहीं हैं .
कांग्रेस को उम्मीद है की इस बार अंचल की चार सीटों में से तीन उसकी झोली में आएँगी .भाजपा की और से पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में सक्रिय रहे पूर्व आपीएस अफसर हरी सिंह भी इस बार लोकसभा चुनाव लड़ने को आतुर हैं.उनके लिए पार्टी महत्वपूर्ण नहीं है.वे किसी भी पार्टी के लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं लेकिन उनका फॉक्स मुरैना सीट पर है.यहां से वर्तमान में भाजपा के अनूप मिश्रा सांसद हैं .भाजपा इस बार मुरैना और भिंड सीट से अपने मौजूदा सांसदों को टिकिट देने के मूड में नजर नहीं आ रही .
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की और से जिन पूर्व राजघरानों की महिलाओं का नाम सुर्ख़ियों में है उनमें ग्वालियर के सिंधिया और राघौगढ़ के सिंह घराने की महिलाओं का नाम प्रमुख हैं. सांसद और कांग्रेस के महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी श्रीमती प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया को ग्वालियर से और कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय सचिव दिग्विजय सिंह की पत्नी अमृता को गुना से चुनाव लड़ाने की मांग कांग्रेस के ही नामालूम लोग कर रहे हैं . इतिहास जानने वाले जानते हैं की  आजादी के बाद से अब तक दिग्विजय सिंह के परिवार की किसी महिला ने सक्रिय राजनीति में हिस्सा नहीं…

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