डॉ. रवि अम्बे के यहां दलाली!
जीआर मेडीकल कॉलेज के सहायक प्राध्यापक डॉ. रवि अम्बे सरकारी निवास पर जो मरीजों का इलाज करते है। उसमे भारी मात्रा में कमीशन की दवाईयां एवं कंपू स्थित मेडिकल से ही दवाईयां खरीदने के लिए मरीजों पर दबाब बनाया जाता है। जबकि सरकार की नीति स्पष्ट है कि दवाईयां ब्रांड नाम से न लिखकर ड्रग नाम से लिखी जाये, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। शासन की नीतियों का मजाक बनाया जा रहा है। खबर तो यह भी है कि डॉ. साहब के यहां से ही मरीजों से स्पष्ट कहा जाता है कि मेरी दवाईकंपू पर स्थित एक ही मेडिकल…
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जीआर मेडीकल कॉलेज के सहायक प्राध्यापक डॉ. रवि अम्बे सरकारी निवास पर जो मरीजों का इलाज करते है। उसमे भारी मात्रा में कमीशन की दवाईयां एवं कंपू स्थित मेडिकल से ही दवाईयां खरीदने के लिए मरीजों पर दबाब बनाया जाता है। जबकि सरकार की नीति स्पष्ट है कि दवाईयां ब्रांड नाम से न लिखकर ड्रग नाम से लिखी जाये, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। शासन की नीतियों का मजाक बनाया जा रहा है। खबर तो यह भी है कि डॉ. साहब के यहां से ही मरीजों से स्पष्ट कहा जाता है कि मेरी दवाईकंपू पर स्थित एक ही मेडिकल पर मिलेगी। देखो भाई कमीशनखोरी की हद कहां तक है….
डॉ. रवि अम्बे के यहां दलाली!
जीआर मेडीकल कॉलेज के सहायक प्राध्यापक डॉ. रवि अम्बे सरकारी निवास पर जो मरीजों का इलाज करते है। उसमे भारी मात्रा में कमीशन की दवाईयां एवं कंपू स्थित मेडिकल से ही दवाईयां खरीदने के लिए मरीजों पर दबाब बनाया जाता है। जबकि सरकार की नीति स्पष्ट है कि दवाईयां ब्रांड नाम से न लिखकर ड्रग नाम से लिखी जाये, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। शासन की नीतियों का मजाक बनाया जा रहा है। खबर तो यह भी है कि डॉ. साहब के यहां से ही मरीजों से स्पष्ट कहा जाता है कि मेरी दवाईकंपू पर स्थित एक ही मेडिकल…
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