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प्रथम नागरिक के खिलाफ आक्रोश, कमजोर तक कह रहे लोग

महानगर के प्रथम नागरिक के खिलाफ लोगों में उबाल है और लबों पर गुस्सा। अब तो स्थिति यहां तक निर्मित हो गई है कि प्रथम नागरिक को कमजोर तक कहने से लोग चूक नहीं रहे। ऐसे ही कुछ नजारा गत रोज लोकमंत्रणा में देखने को मिला। समस्यायें लेकर लोकमंत्रणा में पहुंचे लोगों के गुस्से का सामना महानगर के प्रथम नागरिक महापौर विवेक नारायण शेजवलकर को करना पड़ा। एक केके गर्ग नामक फरियादी ने तो उन्हें कमजोर कहकर संबोधित किया। उनका कहना था कि हमने नहीं मालूम था कि हमारा प्रथम नागरिक इतना कमजोर है, जो समस्याओं तक का निराकरण नहीं…

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महानगर के प्रथम नागरिक के खिलाफ लोगों में उबाल है और लबों पर गुस्सा। अब तो स्थिति यहां तक निर्मित हो गई है कि प्रथम नागरिक को कमजोर तक कहने से लोग चूक नहीं रहे। ऐसे ही कुछ नजारा गत रोज लोकमंत्रणा में देखने को मिला।
समस्यायें लेकर लोकमंत्रणा में पहुंचे लोगों के गुस्से का सामना महानगर के प्रथम नागरिक महापौर विवेक नारायण शेजवलकर को करना पड़ा। एक केके गर्ग नामक फरियादी ने तो उन्हें कमजोर कहकर संबोधित किया। उनका कहना था कि हमने नहीं मालूम था कि हमारा प्रथम नागरिक इतना कमजोर है, जो समस्याओं तक का निराकरण नहीं कर सकता। हम लोग परेशान है कृपया सीवर और सड़क की समस्या का तत्काल निपटारा किया जाये। उनके जैसे ही तमाम फरियादी लोकमंत्रणा में पहुंचे और खरी खोटी सुनाई। ज्यादातर समस्या पानी, सीवर, सड़क, बिजली की थी। प्रथम नागरिक को सभी ने जमकर भला बुरा कहा और यहां तक कह डाला कि अगर काम नहीं कर पा रहे तो कुर्सी खाली कर दो। ऐसे कमजोर प्रथम नागरिक का हम क्या करेंगे। इस पर महापौर ने अधिकारियों को लताड लगा तत्काल समस्याओं के निराकरण के लिए निर्देशित किया।

महानगर के प्रथम नागरिक के खिलाफ लोगों में उबाल है और लबों पर गुस्सा। अब तो स्थिति यहां तक निर्मित हो गई है कि प्रथम नागरिक को कमजोर तक कहने से लोग चूक नहीं रहे। ऐसे ही कुछ नजारा गत रोज लोकमंत्रणा में देखने को मिला। समस्यायें लेकर लोकमंत्रणा में पहुंचे लोगों के गुस्से का सामना महानगर के प्रथम नागरिक महापौर विवेक नारायण शेजवलकर को करना पड़ा। एक केके गर्ग नामक फरियादी ने तो उन्हें कमजोर कहकर संबोधित किया। उनका कहना था कि हमने नहीं मालूम था कि हमारा प्रथम नागरिक इतना कमजोर है, जो समस्याओं तक का निराकरण नहीं…

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