चौधरी साहब का क्या होगा
चंबल अंचल के पूर्व मंत्री चौधरी साहब इन दिनों असमंजस की स्थिति में हैं। आगे की राजनीति में क्या निर्णय ले यह उनको परेशान किये हुये हैं। चुनावी वर्ष है और वह विधानसभा के लिए अभी तक मन नहीं बना पाये हैं। मन बनाये भी तो कैसे जब उनकी कमल दल पार्टी में पूछपरख ही नहीं हैं। कांग्रेस से वह दल बदल कर अपने भाई का तो राजनैतिक भविष्य बना चुके हैं, लेकिन स्वयं का राजनैतिक भविष्य गर्त में डाल चुके हैं, जबकि वह कांग्रेस के दिग्गज नेता थे और उनकी राजनैतिक वजनदारी सबसे अलग थी। उनके लिए मुसीबत यह…
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चंबल अंचल के पूर्व मंत्री चौधरी साहब इन दिनों असमंजस की स्थिति में हैं। आगे की राजनीति में क्या निर्णय ले यह उनको परेशान किये हुये हैं। चुनावी वर्ष है और वह विधानसभा के लिए अभी तक मन नहीं बना पाये हैं। मन बनाये भी तो कैसे जब उनकी कमल दल पार्टी में पूछपरख ही नहीं हैं।
कांग्रेस से वह दल बदल कर अपने भाई का तो राजनैतिक भविष्य बना चुके हैं, लेकिन स्वयं का राजनैतिक भविष्य गर्त में डाल चुके हैं, जबकि वह कांग्रेस के दिग्गज नेता थे और उनकी राजनैतिक वजनदारी सबसे अलग थी। उनके लिए मुसीबत यह है कि भाजपा एक परिवार से दो टिकट देगी नहीं, तो वह कहां जाये निर्णय कर नहीं पा रहे हैं। वैसे चौधरी साहब जीतने वाले कैंडीडेंट हैं। लोकसभा और राज्यसभा के चुनावों में उनसे कपट हो चुका हैं, इसीलिये वह अंदर ही अंदर दुखी भी हैं।
चौधरी साहब का क्या होगा
चंबल अंचल के पूर्व मंत्री चौधरी साहब इन दिनों असमंजस की स्थिति में हैं। आगे की राजनीति में क्या निर्णय ले यह उनको परेशान किये हुये हैं। चुनावी वर्ष है और वह विधानसभा के लिए अभी तक मन नहीं बना पाये हैं। मन बनाये भी तो कैसे जब उनकी कमल दल पार्टी में पूछपरख ही नहीं हैं। कांग्रेस से वह दल बदल कर अपने भाई का तो राजनैतिक भविष्य बना चुके हैं, लेकिन स्वयं का राजनैतिक भविष्य गर्त में डाल चुके हैं, जबकि वह कांग्रेस के दिग्गज नेता थे और उनकी राजनैतिक वजनदारी सबसे अलग थी। उनके लिए मुसीबत यह…
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