Review Overview
क्या ऐसे ही बनेगी ग्वालियर स्मार्ट सिटी और ऐसे ही होगा क्या ग्वालियर समेत दूसरे शहरों का विकास। ग्वालियर से एक केंद्रीय मंत्री,तीन केबिनेट मंत्री,प्रदेश में सन 2003 से भाजपा की सरकार। ग्वालियर में नगर निगम भाजपा की। इस सबके बाद भी ये बेचारा शहर अनाथ।यहां के लोग भोले-भाले जो एक नही कई समस्याओं से जूझ रहे हैं। करोड़ों खर्च सड़क के नाम पर नगर निगम कर चुकी जिसमे ठेकेदार और निगम अफसरों के बीच पैसे का बंदरबांट हो गया।सड़क वैसी की वैसी।शहर की एक कोई ऐसी सड़क नही होगी जिसमें गड्ढे न हों। भले वह सड़क साल में 2 बार बन गई हो। बारिश में उन सड़कों का हाल ये है कि उस सड़क में बने गड्ढे पानी से लबालब हो गए।उनमें बेचारे इस शहर के कई लोग किसी न किसी सड़क के गड्डों में वाहन समेत गिरकर चुटियाल हो रहे हैं।
गन्दा पानी पीने से मेहरा कालोनी में 300 से अधिक लोग बीमार हो गए। गन्दा पानी शहर के कई मोहल्लों व् कालोनियों में अभी भी सप्लाई हो रहा है। सड़कें अतिक्रमण की वजह से सकरी होती जा रही है। कोई देखने और सुनने वाला कोई नही है। गलती नगर निगम की। सजा भुगत रही इस शहर की वेचारी जनता। कमीशन खोरी और भ्र्ष्टाचार ग्वालियर ही नहीँ पूरे प्रदेश में छाया हुआ है।बिजली तो इस शहर में भगवान भरोसे है। साकेत नगर,दुर्गापुरी,तानसेन नगर जैसी पॉश कॉलोनी में प्रतिदिन 4 से 5 घण्टे बिजली गायब होना आम बात हो गई है।जरा सी बारिश हुई बिजली सप्लाई बंद। यह उस समय जब बिजली के नाम पर करोड़ों रूपये खर्च हो चुके हैं। कानून व्यवस्था भी भगवान भरोसे। अस्पतालों में मरीजों को न तो इलाज मिल रहा और न दवाएं। जांच के नाम पर उनको लुटा जा रहा है। किसान नकली बीज के नाम पर लूट रहा है। ग्वालियर को स्मार्ट सिटी बनाने का सपना हम सबको दिखाया जा रहा है जिसके लिये करोड़ों रुपए का बजट है। इससे पहले आये दूसरी योजनाओं का पैसा ठिकाने लग गया ऐसे यह भी बजट ठिकाने लग जाएगा। ग्वालियर शहर स्मार्ट सिटी तो दूर वही रहेगा जो सन 2003 से पहले का ग्वालियर था। कि हम सबको सोचना होगा कि प्रधानमंत्री मोदी से जो उम्मीद थी वह क्या पूरी हो गई। रुपया गिर गया, पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ गए। लोग आधार कार्ड और नोट बन्दी व् आरक्षण के नाम पर जातियों के बटने से परेशान हैं। राजनीतिक दल एक-दूसरे पर भ्रस्टाचार के आरोप लगाकर गरिया रहे हैं। आपस में गुटवाजी में फंसकर लड़ रहे हैं।
जनता की समस्याओं को लेकर जो नेता और राजनीतिक दल आंदोलन करते थे वे कहाँ चले गए। हां उनको विधायिकी और सांसदी का जरूर टिकिट चाहिए। जो वर्तमान में मंत्री और विधायक हैं उनको दुबारा टिकिट चाहिए चाहें उन्होंने जनता का कोई काम नही किया हो। हाँ इतना जरूर है कि उनके पास पैसा अच्छा आ गया। उनकी तरफ से चाहें जनता भाड़ में जाए । चाहें समस्याओं से जूझते हुए या खुले गटरों में गिरकर मर जाए। गन्दा पानी पीकर मरे। 5-5 घण्टे तक बगैर बिजली के रहे।क्या ऐसे ही बनेगी ग्वालियर स्मार्ट सिटी। वैसे ऐसी समस्या ग्वालियर शहर की नहीं मध्यप्रदेश और दूसरे राज्यों के नामी गिरामी शहरों की है। अब समय आ गया है कि जागो और पहचानों कि कौनसी पार्टी और कोनसा नेता हमारी सुनता था सुन रहा है और कोन सुनेगा। सबक सिखाओ हमें चाहिए चहुमुखी विकास। साफ़ सुथरा पानी और चौबीस घण्टे बिजली व् सुरक्षा।सोच-समझकर निर्णय लो और आगे बढ़ो।।