मेट्रो और मोनो रेल से कितनी अलग देश की पहली नमो भारत? PM मोदी आज करेंगे उद्घाटन

पीएम नरेंद्र मोदी 20 अक्टूबर (शुक्रवार) को गाजियाबाद से देश की पहली रैपिड रेल नमो भारत (NaMo Bharat) को हरी झंडी दिखाएंगे. दिल्ली से मेरठ के बीच 82 किलोमीटर लम्बे कॉरिडोर के पहले चरण में यह ट्रेन साहिबाबाद से दुहाई के बीच 17 किलोमीटर की दूरी तय करेगी. शुक्रवार को उद्घाटन के बाद जल्द ही आम लोग इससे सफर कर सकेंगे. नमो भारत ट्रेन 2025 तक दिल्ली के सराय काले खां से मेरठ के मदीपुरम स्टेशन के बीच रफ्तार भरती हुई नजर आएगी.

पिछले हफ्ते इसे मेट्रो रेल सुरक्षा आयुक्त की तरफ से सुरक्षा मंजूरी मिलने के बाद उद्घाटन की तारीख तय हुई. फिलहाल इसी महीने से यह रैपिड ट्रेन साहिबाबाद से चलेगी. गाजियाबाद, गुलधर होते हुए 15 से 17 मिनट में दुहाई डिपो तक पहुंच जाएगी. जानिए, नमो भारत मुंबई की मोनो और दिल्ली-NCR वाली मेट्रो से कितनी अलग है, इसमें कौन-कौन सी सुविधाएं मिलेंगी.

मोनो रेल और मेट्रो से कितनी अलग दिल्ली-मेरठ वाली रैपिड रेल?
मुंबई में चलने वाली मोनो रेल, दिल्ली-एनसीआर की मेट्रो और नमो भारत रैपिड रेल में कई बड़े अंतर हैं. सबसे बड़ा अंतर होता है स्पीड का. अब तीनों काे एक-एक करके समझते हैं.
रैपिड रेल: स्पीड के साथ सुविधाएं भी ज्यादा
स्पीड के मामले में रैपिड दोनों तरह की मेट्रो से कहीं आगे है. रैपिड रेल एक घंटे में 180 किलोमीटर की रफ्तार से चलने के लिए डिजाइन की गई है. इस तरह देखा जाए तो पैसेंजर मात्र एक घंटे में दिल्ली से मेरठ पहुंच जाएगा. रैपिड रेल के कोच में कई सुविधाएं मिलती हैं. जैसे- फ्री वाईफाई, मोबाइल चार्जिंग पॉइंट्स, समान को रखने के लिए स्पेस, इंफोटेनमेंट सिस्टम. मेट्रो में स्मार्ट कार्ड्स, टोकेन, क्यूआर कोड वाले पेपर और ऐप से जनरेट होने वाले टिकट से एंट्री मिलती है. जबकि रैपिड रेल के लिए क्यूआर कोर्ड वाले डिजिटल पेपर और पेपर टिकट का इस्तेमाल होता है.

मेट्रो ट्रेन: एक घंटे में 40 हजार यात्रियों को 80 किमी की रफ्तार से पहुंचाती है
मोनो रेल के मुकाबले मेट्रो काफी अपग्रेड मानी जाती है. यह एक घंटे में 40 हजार यात्रियों को सफर करा सकती है. मोनो के मुकाबले इसे चलने के लिए अधिक जगह की जरूरत होती है. इसमें आमतौर पर 9 कोच होते हैं. मोनो के मुकाबले यह अधिक स्पीड तय कर सकती है. रैपिड रेल और मेट्रो के बीच सबसे बड़ा अंतर स्पीड का भी होता है. जैसे- दिल्ली-NCR ने चलने वाली मेट्रो 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है. जबकि रैपिड रेल को 180 किलोमीटर प्रतिघंटे की स्पीड से चलने के लिए डिजाइन किया गया है.

मोनो रेल: घनी आबादी वाले क्षेत्र में कम दूरी के लिए चलने वाली ट्रेन
मोनो रेल को उन रूट पर चलाया जाता है जहां बहुत घनी आबादी है. या जगह की बहुत कमी है. यह कम दूरी के बीच चलती है. जगह कम घेरती है. इसके नाम में मोनो है, जिसका मतलब है, इसके लिए सिर्फ एक ही पटरी होगी. यानी वापसी के लिए उसी ट्रेन का सहारा लेना होगा. जिस तरह दिल्ली-एनसीआर की मेट्रो में दो पटरियां साथ चलती हैं और आने-जाने के लिए अलग-अलग ट्रेन होती हैं, मोनो रेल के मामले में ऐसा नहीं होता. आसान भाषा में समझें तो यह एक ट्रैक पर ही चलती है. इसमें आमतौर पर 4 डिब्बे यानी कोच होते हैं. यह ट्रेन एक घंटे में 10 हजार यात्रियाें एक से दूसरी जगह पहुंचा सकती है. एशिया के 20 शहरों में मोनो मेट्रो चल रही है.

एक घंटे में दिल्ली से मेरठ पहुंचेंगे
दिल्ली-एनसीआर में रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) के लिए 8 कॉरिडोर की पहचान की गई है. पहले चरण के लिए तीन कॉरिडोर को मंजूरी दी दी गई है. इसमें दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर, दिल्ली-गुरुग्राम-एमएनबी-अलवर कॉरिडोर और दिल्ली-पानीपत कॉरिडोर को शामिल किया गया है.
दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर के ट्रैक पर शुक्रवार को देश की पहली रैपिड रेल चलेगी. पहले चरण में यह साहिबाबाद से दुहाई डिपो तक का सफर तय करेगी. 2025 तक यह रूट पूरी तरह तैयार हो जाएगा. इसके जरिए यात्री एक घंटे में दिल्ली से मेरठ का सफर तय कर सकेंगे. इस प्रोजेक्ट की लागत 30 हजार करोड़ रुपए बताई गई है.